रत्ननंदि: Difference between revisions
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Revision as of 16:33, 19 August 2020
नंदिसंघ बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप वीरनंदि नं. 1 के शिष्य तथा माणिक्य नं. 1 के गुरु थे । समय−शक सं. 561-585 (ई. 639-663) ।−देखें इतिहास - 7 ।2।