लोहाचार्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 2: | Line 2: | ||
<ol> | <ol> | ||
<li> सुधर्माचार्य का अपरनाम था−देखें [[ सुधर्माचार्य ]]। </li> | <li> सुधर्माचार्य का अपरनाम था−देखें [[ सुधर्माचार्य ]]। </li> | ||
<li> मूलसंघ की पट्टावली में इनकी गणना अष्टांगधारियों अथवा आचारांगधारियों में की गई है । इसके अनुसार इनका समय−वी. नि. 515-565 (ई. पू. 12-38) प्राप्त होता है। (देखें [[ इतिहास#4.4 | इतिहास - 4.4]]); ( हरिवंशपुराण/ प्र. 3/पं. पन्नालाल); ( सर्वार्थसिद्धि/ प्र. 78/पं. | <li> मूलसंघ की पट्टावली में इनकी गणना अष्टांगधारियों अथवा आचारांगधारियों में की गई है । इसके अनुसार इनका समय−वी. नि. 515-565 (ई. पू. 12-38) प्राप्त होता है। (देखें [[ इतिहास#4.4 | इतिहास - 4.4]]); ( हरिवंशपुराण/ प्र. 3/पं. पन्नालाल); ( सर्वार्थसिद्धि/ प्र. 78/पं. फूलचंद); (कोश 1/परिशिष्ट 2/5)। </li> | ||
<li> | <li> नंदिसंघ बलात्कारगण की पट्टावली के अनुसार ये उमास्वामी के शिष्य तथा यशः कीर्ति के गुरु थे। समय - शक सं. 142-153 (ई. 220-231); (देखें [[ इतिहास#7.1 | इतिहास - 7.1]], 2)। </li> | ||
</ol> | </ol> | ||
Revision as of 16:33, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- सुधर्माचार्य का अपरनाम था−देखें सुधर्माचार्य ।
- मूलसंघ की पट्टावली में इनकी गणना अष्टांगधारियों अथवा आचारांगधारियों में की गई है । इसके अनुसार इनका समय−वी. नि. 515-565 (ई. पू. 12-38) प्राप्त होता है। (देखें इतिहास - 4.4); ( हरिवंशपुराण/ प्र. 3/पं. पन्नालाल); ( सर्वार्थसिद्धि/ प्र. 78/पं. फूलचंद); (कोश 1/परिशिष्ट 2/5)।
- नंदिसंघ बलात्कारगण की पट्टावली के अनुसार ये उमास्वामी के शिष्य तथा यशः कीर्ति के गुरु थे। समय - शक सं. 142-153 (ई. 220-231); (देखें इतिहास - 7.1, 2)।
पुराणकोष से
तीर्थंकर महावीर के निर्वाण के पश्चात् पाँच सौ पैसठ वर्ष बाद हुए आचारांगधारी चार आचार्यों में चौथे आचार्य । सुभद्र, यशोभद्र और जयबाहु इनके पहले हुए थे । इनके अपर नाम लोह और लोहार्य वै । महापुराण 2.149, 76.526, हरिवंशपुराण 1.65, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.41-50