विमानपंक्ति: Difference between revisions
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<p> एक व्रत । इसमें त्रेसठ | <p> एक व्रत । इसमें त्रेसठ इंद्रक विमानों की चारों दिशाओं में विद्यमान श्रेणीबद्ध विमानों की अपेक्षा चार उपवास और चार पारणाएँ तथा प्रत्येक इंद्रक की अपेक्षा एक वेला और एक पारणा करने के पश्चात् एक तेला किया जाता है । इस प्रकार प्रत्येक इंद्रक के चार-चार उपवास करने से दो सौ बावन उपवास तथा प्रत्येक इंद्रक का एक बेला करने से त्रेसठ बेला और अंत में एक तेला किया जाने का विधान होने से कुल तीन सी सोलह उपवास और इतनी हो पारणाएँ की जाती है । यह वत पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर दिशा के क्रम से होता है । चारों दिशाओं के चार उपवास के पश्चात् बेला किया जाता है और त्रेसठ वेला करने के बाद एक तेला करने का विधान है । ऐसा सती विमानों का स्वामी होता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.86-87 </span></p> | ||
Revision as of 16:35, 19 August 2020
एक व्रत । इसमें त्रेसठ इंद्रक विमानों की चारों दिशाओं में विद्यमान श्रेणीबद्ध विमानों की अपेक्षा चार उपवास और चार पारणाएँ तथा प्रत्येक इंद्रक की अपेक्षा एक वेला और एक पारणा करने के पश्चात् एक तेला किया जाता है । इस प्रकार प्रत्येक इंद्रक के चार-चार उपवास करने से दो सौ बावन उपवास तथा प्रत्येक इंद्रक का एक बेला करने से त्रेसठ बेला और अंत में एक तेला किया जाने का विधान होने से कुल तीन सी सोलह उपवास और इतनी हो पारणाएँ की जाती है । यह वत पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर दिशा के क्रम से होता है । चारों दिशाओं के चार उपवास के पश्चात् बेला किया जाता है और त्रेसठ वेला करने के बाद एक तेला करने का विधान है । ऐसा सती विमानों का स्वामी होता है । हरिवंशपुराण 34.86-87