वीतशोका: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 2: | Line 2: | ||
<ol> | <ol> | ||
<li> अपर विदेह के सरित क्षेत्र की प्रधान नगरी–देखें [[ लोक#5.2 | लोक - 5.2]]; </li> | <li> अपर विदेह के सरित क्षेत्र की प्रधान नगरी–देखें [[ लोक#5.2 | लोक - 5.2]]; </li> | ||
<li> | <li> नंदीश्वर द्वीप की दक्षिण दिशा में स्थित एक वापी देखें [[ लोक#4.5 | लोक - 4.5 ]]व 5/11। </li> | ||
</ol> | </ol> | ||
Line 19: | Line 19: | ||
<p id="3">(3) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी में स्थित पच्चीसवीं नगरी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.81, 87 </span></p> | <p id="3">(3) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी में स्थित पच्चीसवीं नगरी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.81, 87 </span></p> | ||
<p id="4">(4) विदेहक्षेत्र के सरिता देश की राजधानी । <span class="GRef"> महापुराण 63.211,216 </span></p> | <p id="4">(4) विदेहक्षेत्र के सरिता देश की राजधानी । <span class="GRef"> महापुराण 63.211,216 </span></p> | ||
<p id="5">(5) | <p id="5">(5) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित वत्स-देश की कौशांबी नगरी के राजा मघवा की महादेवी । रघु इसका पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 70.63-64 </span>देखें [[ मधवा#1 | मधवा - 1]]</p> | ||
Revision as of 16:36, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- अपर विदेह के सरित क्षेत्र की प्रधान नगरी–देखें लोक - 5.2;
- नंदीश्वर द्वीप की दक्षिण दिशा में स्थित एक वापी देखें लोक - 4.5 व 5/11।
पुराणकोष से
(1) एक नगर । इसका अपर नाम वीतशोकपुर था । महापुराण 59.109, हरिवंशपुराण 27.5 देखें वीतशोकपुर - 1
(2) एक नगर । इसका भी अपर नाम वीतशोकपुर था । हरिवंशपुराण 60.43, 68-69 देखें वीतशोकपुर - 2
(3) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी में स्थित पच्चीसवीं नगरी । हरिवंशपुराण 19.81, 87
(4) विदेहक्षेत्र के सरिता देश की राजधानी । महापुराण 63.211,216
(5) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित वत्स-देश की कौशांबी नगरी के राजा मघवा की महादेवी । रघु इसका पुत्र था । महापुराण 70.63-64 देखें मधवा - 1