व्यापार: Difference between revisions
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<p> राजवार्तिक/1/1/1/3/28 <span class="SanskritText">व्यापृतिर्व्यापारः अर्थप्रापणसमर्थः क्रियाप्रयोगः। </span>= <span class="SanskritText">‘व्यापृतिर्व्यापारः’</span><span class="HindiText"> इस व्युत्पत्ति के अनुसार अर्थ प्राप्त करने की समर्थ क्रिया प्रयोग को व्यापार कहते हैं। </span><br /> | <p> राजवार्तिक/1/1/1/3/28 <span class="SanskritText">व्यापृतिर्व्यापारः अर्थप्रापणसमर्थः क्रियाप्रयोगः। </span>= <span class="SanskritText">‘व्यापृतिर्व्यापारः’</span><span class="HindiText"> इस व्युत्पत्ति के अनुसार अर्थ प्राप्त करने की समर्थ क्रिया प्रयोग को व्यापार कहते हैं। </span><br /> | ||
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/205/279/8 <span class="SanskritText"> चिच्चमत्कारप्रतिपक्षभूत | प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/205/279/8 <span class="SanskritText"> चिच्चमत्कारप्रतिपक्षभूत आरंभो व्यापारः। </span>= <span class="HindiText">चिच्चमत्कार मात्र जो ज्ञाता द्रष्टाभाव उससे प्रतिपक्षभूत आरंभ का नाम व्यापार है। </span></p> | ||
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Revision as of 16:37, 19 August 2020
राजवार्तिक/1/1/1/3/28 व्यापृतिर्व्यापारः अर्थप्रापणसमर्थः क्रियाप्रयोगः। = ‘व्यापृतिर्व्यापारः’ इस व्युत्पत्ति के अनुसार अर्थ प्राप्त करने की समर्थ क्रिया प्रयोग को व्यापार कहते हैं।
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/205/279/8 चिच्चमत्कारप्रतिपक्षभूत आरंभो व्यापारः। = चिच्चमत्कार मात्र जो ज्ञाता द्रष्टाभाव उससे प्रतिपक्षभूत आरंभ का नाम व्यापार है।