शूर: Difference between revisions
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<p id="2">(2) परीषहों, कषायों और काम, मोह आदि के विजेता शूर कहलाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 44.228-229, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 8.50 </span></p> | <p id="2">(2) परीषहों, कषायों और काम, मोह आदि के विजेता शूर कहलाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 44.228-229, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 8.50 </span></p> | ||
<p id="3">(3) भरतक्षेत्र के | <p id="3">(3) भरतक्षेत्र के आर्यखंड का उत्तरदिशावर्ती एक देश । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11.66-67 </span></p> | ||
<p id="4">(4) हरिवंशी राजा यदु का पौत्र और राजा नरपति का पुत्र । सुवीर इसका छोटा भाई था । इसने मथुरा का राज्य छोटे भाई को देकर कुशद्य देश में शौर्यपुर नगर बसाया था तथा यह वही रहने लगा था । | <p id="4">(4) हरिवंशी राजा यदु का पौत्र और राजा नरपति का पुत्र । सुवीर इसका छोटा भाई था । इसने मथुरा का राज्य छोटे भाई को देकर कुशद्य देश में शौर्यपुर नगर बसाया था तथा यह वही रहने लगा था । अंधकवृष्णि इसका पुत्र था । अंत में यह पुत्र को राज्य देकर सुप्रतिष्ठ मुनिराज के पास दीक्षित होकर सिद्ध हुआ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.6-11 </span></p> | ||
<p id="5">(5) मथुरा नगरी के सेठ भानु का पुत्र । सेठानी यमुना इसकी माता थी । | <p id="5">(5) मथुरा नगरी के सेठ भानु का पुत्र । सेठानी यमुना इसकी माता थी । अंत में यह अपने अन्य भाइयों-शुभानु, भानुकीर्ति, भानुषेण, शूरदेव, शूरदत्त और शूरसेन के साथ वरधर्म मुनि के पास दीक्षित हो गया था तथा घोर तपश्चरण करके यह तथा इसके सभी भाई समाधिमरणपूर्वक सौधर्म स्वर्ग में त्रायस्त्रिंश जाति के उत्तम देव हुए । <span class="GRef"> महापुराण 71.202-244, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.97, 124-130 </span></p> | ||
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Revision as of 16:37, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- भरत क्षेत्र आर्य खंड का एक देश - देखें मनुष्य - 4।
- राजा यदु का पुत्र था तथा नेमिनाथ भगवान् का बाबा था। इसने शौर्यपुर बसाया था। - देखें इतिहास - 10.10।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.160
(2) परीषहों, कषायों और काम, मोह आदि के विजेता शूर कहलाते हैं । महापुराण 44.228-229, वीरवर्द्धमान चरित्र 8.50
(3) भरतक्षेत्र के आर्यखंड का उत्तरदिशावर्ती एक देश । हरिवंशपुराण 11.66-67
(4) हरिवंशी राजा यदु का पौत्र और राजा नरपति का पुत्र । सुवीर इसका छोटा भाई था । इसने मथुरा का राज्य छोटे भाई को देकर कुशद्य देश में शौर्यपुर नगर बसाया था तथा यह वही रहने लगा था । अंधकवृष्णि इसका पुत्र था । अंत में यह पुत्र को राज्य देकर सुप्रतिष्ठ मुनिराज के पास दीक्षित होकर सिद्ध हुआ । हरिवंशपुराण 18.6-11
(5) मथुरा नगरी के सेठ भानु का पुत्र । सेठानी यमुना इसकी माता थी । अंत में यह अपने अन्य भाइयों-शुभानु, भानुकीर्ति, भानुषेण, शूरदेव, शूरदत्त और शूरसेन के साथ वरधर्म मुनि के पास दीक्षित हो गया था तथा घोर तपश्चरण करके यह तथा इसके सभी भाई समाधिमरणपूर्वक सौधर्म स्वर्ग में त्रायस्त्रिंश जाति के उत्तम देव हुए । महापुराण 71.202-244, हरिवंशपुराण 33.97, 124-130