शेषा: Difference between revisions
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Revision as of 16:37, 19 August 2020
पूजन के अंत में ग्रहण की जाने वाली आशिका । इसे अंजली में ग्रहण करके मस्तक पर स्थापित किया जाता है । पांडवपुराण 3.29