षट्खंड: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="HindiText">भरतादि 170 कर्मभूमियों रूप क्षेत्रों में से प्रत्येक में दो-दो नदियाँ व एक-एक विजयार्ध पर्वत हैं। जिनके कारण वह छह | <span class="HindiText">भरतादि 170 कर्मभूमियों रूप क्षेत्रों में से प्रत्येक में दो-दो नदियाँ व एक-एक विजयार्ध पर्वत हैं। जिनके कारण वह छह खंडों में विभाजित हो जाता है। इन्हें ही षट् खंड कहते हैं। इनमें से एक आर्य व शेष पाँच म्लेच्छ खंड हैं। इन्हीं षट् खंडों को चक्रवर्ती जीतता है। विजयार्ध तथा आर्य खंड सहित तीनों खंडों को अर्धचक्रवर्ती जीतता है। - देखें [[ म्लेच्छ खंड ]]।</span> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ षट् | [[ षट् खंडागम | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ षट्गुणहानि वृद्धि | अगला पृष्ठ ]] | [[ षट्गुणहानि वृद्धि | अगला पृष्ठ ]] |
Revision as of 16:38, 19 August 2020
भरतादि 170 कर्मभूमियों रूप क्षेत्रों में से प्रत्येक में दो-दो नदियाँ व एक-एक विजयार्ध पर्वत हैं। जिनके कारण वह छह खंडों में विभाजित हो जाता है। इन्हें ही षट् खंड कहते हैं। इनमें से एक आर्य व शेष पाँच म्लेच्छ खंड हैं। इन्हीं षट् खंडों को चक्रवर्ती जीतता है। विजयार्ध तथा आर्य खंड सहित तीनों खंडों को अर्धचक्रवर्ती जीतता है। - देखें म्लेच्छ खंड ।