समवायि: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="HindiText">1. समवाय व असमवाय का लक्षण</span> | <span class="HindiText">1. समवाय व असमवाय का लक्षण</span> | ||
<p class="HindiText"> वैशेषिक द./भाषा./10/2/305/7 द्रव्य ही में गुण और कर्म समवाय | <p class="HindiText"> वैशेषिक द./भाषा./10/2/305/7 द्रव्य ही में गुण और कर्म समवाय संबंध से रह सकते हैं...द्रव्य में ही समवायि कारण होता है।</p> | ||
<p class="HindiText"> वैशेषिक/भाषा./10/2/3/306 जो कारण और कार्य के | <p class="HindiText"> वैशेषिक/भाषा./10/2/3/306 जो कारण और कार्य के संबंध को एक ही में मिला दे वह असमवायी कारण है।</p> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:38, 19 August 2020
1. समवाय व असमवाय का लक्षण
वैशेषिक द./भाषा./10/2/305/7 द्रव्य ही में गुण और कर्म समवाय संबंध से रह सकते हैं...द्रव्य में ही समवायि कारण होता है।
वैशेषिक/भाषा./10/2/3/306 जो कारण और कार्य के संबंध को एक ही में मिला दे वह असमवायी कारण है।