सिंधुद्बार: Difference between revisions
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Revision as of 16:39, 19 August 2020
सिंधु नदी का द्वार । चक्रवर्ती भरतेश पश्चिम दिशा के समस्त राजाओं को वश में करते हुए वेदिका के किनारे-किनारे चलकर यहाँ आये थे । उन्होंने यहाँ के स्वामी प्रभास देव को अपने अधीन किया था । महापुराण 68.653, हरिवंशपुराण 11. 15-16