सुव्रता: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) | <p id="1"> (1) धातकीखंड द्वीप के पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा सुमित्र की रानी । प्रियमित्र इसका पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 74. 236-237, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 5.36-38 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर धर्मनाथ की जननी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.51 </span></p> | <p id="2">(2) तीर्थंकर धर्मनाथ की जननी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.51 </span></p> | ||
<p id="3">(3) | <p id="3">(3) धातकीखंड द्वीप के गंधिला देश की अयोध्या नगरी के राजा अर्हद्दास की पटरानी । यह वीतमय बलभद्र की माता थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.111-112 </span></p> | ||
<p id="4">(4) एक आर्यिका । भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव की रानी | <p id="4">(4) एक आर्यिका । भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव की रानी नंदयशा ने इन्हीं से दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 287-288, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.141-143, 165 </span></p> | ||
<p id="5">(5) एक आर्यिका । यशोदा की पुत्री ने व्रतधर मुनि से अपना पूर्वभव सुनकर इन्हीं आर्यिका से दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 70.405-408, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 49.1, 13-21 </span></p> | <p id="5">(5) एक आर्यिका । यशोदा की पुत्री ने व्रतधर मुनि से अपना पूर्वभव सुनकर इन्हीं आर्यिका से दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 70.405-408, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 49.1, 13-21 </span></p> | ||
<p id="6">(6) एक आर्यिका । | <p id="6">(6) एक आर्यिका । जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में शंख नगर के वैश्य देविल की पुत्री ने इन्हें आहार दिया था । <span class="GRef"> महापुराण 62.494-498 </span></p> | ||
Revision as of 16:39, 19 August 2020
(1) धातकीखंड द्वीप के पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के राजा सुमित्र की रानी । प्रियमित्र इसका पुत्र था । महापुराण 74. 236-237, वीरवर्द्धमान चरित्र 5.36-38
(2) तीर्थंकर धर्मनाथ की जननी । पद्मपुराण 20.51
(3) धातकीखंड द्वीप के गंधिला देश की अयोध्या नगरी के राजा अर्हद्दास की पटरानी । यह वीतमय बलभद्र की माता थी । हरिवंशपुराण 27.111-112
(4) एक आर्यिका । भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव की रानी नंदयशा ने इन्हीं से दीक्षा ली थी । महापुराण 71. 287-288, हरिवंशपुराण 33.141-143, 165
(5) एक आर्यिका । यशोदा की पुत्री ने व्रतधर मुनि से अपना पूर्वभव सुनकर इन्हीं आर्यिका से दीक्षा ली थी । महापुराण 70.405-408, हरिवंशपुराण 49.1, 13-21
(6) एक आर्यिका । जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में शंख नगर के वैश्य देविल की पुत्री ने इन्हें आहार दिया था । महापुराण 62.494-498