कर्तृत्व: Difference between revisions
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राजवार्तिक 2/7/13/112/3 . <span class="SanskritText">कर्तृत्वमपि साधारणं क्रियानिष्पत्तौ सर्वेषां स्वातंत्र्यात् ।</span> =<span class="HindiText">कर्तृत्व भी साधारण धर्म है क्योंकि अपनी-अपनी क्रिया की निष्पत्ति में सब द्रव्यों की स्वतंत्रता है। </span><BR> समयसार / आत्मख्याति/ परि./शक्ति नं॰ 42<span class="SanskritText"> भवत्तारूपसिद्धरूपभावभावकत्वमयी कर्तृशक्ति:।42। </span>=<span class="HindiText">प्राप्त होने रूपता जो सिद्धरूप भाव है, उसके भावकत्वमयी कर्तृत्वशक्ति है।</span><BR> पंचास्तिकाय / तत्त्वप्रदीपिका/28 <span class="SanskritText"> समस्तवस्त्वसाधारणंस्वरूपनिर्वर्तनमात्रं कर्तृत्वं। </span>=<span class="HindiText"> समस्त वस्तुओं से असाधारण ऐसे स्वरूप की निष्पत्तिमात्ररूप कर्तृत्व होता है। </span> | <span class="GRef"> राजवार्तिक 2/7/13/112/3 </span>. <span class="SanskritText">कर्तृत्वमपि साधारणं क्रियानिष्पत्तौ सर्वेषां स्वातंत्र्यात् ।</span> =<span class="HindiText">कर्तृत्व भी साधारण धर्म है क्योंकि अपनी-अपनी क्रिया की निष्पत्ति में सब द्रव्यों की स्वतंत्रता है। </span><BR><span class="GRef"> समयसार / आत्मख्याति/ </span>परि./शक्ति नं॰ 42<span class="SanskritText"> भवत्तारूपसिद्धरूपभावभावकत्वमयी कर्तृशक्ति:।42। </span>=<span class="HindiText">प्राप्त होने रूपता जो सिद्धरूप भाव है, उसके भावकत्वमयी कर्तृत्वशक्ति है।</span><BR><span class="GRef"> पंचास्तिकाय / तत्त्वप्रदीपिका/28 </span><span class="SanskritText"> समस्तवस्त्वसाधारणंस्वरूपनिर्वर्तनमात्रं कर्तृत्वं। </span>=<span class="HindiText"> समस्त वस्तुओं से असाधारण ऐसे स्वरूप की निष्पत्तिमात्ररूप कर्तृत्व होता है। </span> | ||
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Revision as of 12:59, 14 October 2020
राजवार्तिक 2/7/13/112/3 . कर्तृत्वमपि साधारणं क्रियानिष्पत्तौ सर्वेषां स्वातंत्र्यात् । =कर्तृत्व भी साधारण धर्म है क्योंकि अपनी-अपनी क्रिया की निष्पत्ति में सब द्रव्यों की स्वतंत्रता है।
समयसार / आत्मख्याति/ परि./शक्ति नं॰ 42 भवत्तारूपसिद्धरूपभावभावकत्वमयी कर्तृशक्ति:।42। =प्राप्त होने रूपता जो सिद्धरूप भाव है, उसके भावकत्वमयी कर्तृत्वशक्ति है।
पंचास्तिकाय / तत्त्वप्रदीपिका/28 समस्तवस्त्वसाधारणंस्वरूपनिर्वर्तनमात्रं कर्तृत्वं। = समस्त वस्तुओं से असाधारण ऐसे स्वरूप की निष्पत्तिमात्ररूप कर्तृत्व होता है।