जित कषाय: Difference between revisions
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प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/240/333/14 <span class="SanskritText">व्यवहारेण क्रोधादिकषायजयेन जितकषाय: निश्चयेन चाकषायात्मभावनारत:।</span> =<span class="HindiText">व्यवहार से क्रोधादि कषायों के जीतने से और निश्चय से अकषायस्वरूप शुद्धात्मभावना में रत रहने से जितकषाय है। </span> | <span class="GRef"> प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/240/333/14 </span><span class="SanskritText">व्यवहारेण क्रोधादिकषायजयेन जितकषाय: निश्चयेन चाकषायात्मभावनारत:।</span> =<span class="HindiText">व्यवहार से क्रोधादि कषायों के जीतने से और निश्चय से अकषायस्वरूप शुद्धात्मभावना में रत रहने से जितकषाय है। </span> | ||
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Revision as of 13:00, 14 October 2020
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/240/333/14 व्यवहारेण क्रोधादिकषायजयेन जितकषाय: निश्चयेन चाकषायात्मभावनारत:। =व्यवहार से क्रोधादि कषायों के जीतने से और निश्चय से अकषायस्वरूप शुद्धात्मभावना में रत रहने से जितकषाय है।