प्रतिज्ञा: Difference between revisions
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<p> न्यायदीपिका/3/31/76/4 <span class="SanskritText">तत्र धर्मधर्मिसमुदायरूपस्य पक्षस्य वचनं प्रतिज्ञा । यथा - पर्वतोऽयमग्निमान् इति । </span>= <span class="HindiText">धर्म और धर्मी के समुदायरूप पक्ष के कहने को प्रतिज्ञा कहते हैं । जैसे - यह पर्वत अग्निवाला है । </span><br /> | <p><span class="GRef"> न्यायदीपिका/3/31/76/4 </span><span class="SanskritText">तत्र धर्मधर्मिसमुदायरूपस्य पक्षस्य वचनं प्रतिज्ञा । यथा - पर्वतोऽयमग्निमान् इति । </span>= <span class="HindiText">धर्म और धर्मी के समुदायरूप पक्ष के कहने को प्रतिज्ञा कहते हैं । जैसे - यह पर्वत अग्निवाला है । </span><br /> | ||
<span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/ </span>टी./1/1/39/38/10 <span class="SanskritText">साध्यस्य धर्मस्य धर्मिणा संबंधोपादानं प्रतिज्ञार्थः । अनित्यः शब्द इति प्रतिज्ञा ।</span> = <span class="HindiText">धर्मी के द्वारा साध्य धर्म का सिद्ध करना प्रतिज्ञा का अर्थ है । जैसे - किसी ने कहा कि शब्द अनिवार्य हैं । </span></p> | |||
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Revision as of 13:01, 14 October 2020
न्यायदीपिका/3/31/76/4 तत्र धर्मधर्मिसमुदायरूपस्य पक्षस्य वचनं प्रतिज्ञा । यथा - पर्वतोऽयमग्निमान् इति । = धर्म और धर्मी के समुदायरूप पक्ष के कहने को प्रतिज्ञा कहते हैं । जैसे - यह पर्वत अग्निवाला है ।
न्यायदर्शन सूत्र/ टी./1/1/39/38/10 साध्यस्य धर्मस्य धर्मिणा संबंधोपादानं प्रतिज्ञार्थः । अनित्यः शब्द इति प्रतिज्ञा । = धर्मी के द्वारा साध्य धर्म का सिद्ध करना प्रतिज्ञा का अर्थ है । जैसे - किसी ने कहा कि शब्द अनिवार्य हैं ।