प्रदेश विरच: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> धवला 14/5,6,287/352/3 <span class="SanskritText">कर्मपुद्गलप्रदेशो विरच्यते अस्मिन्निति प्रदेशविरचः कर्मस्थितिरिति यावत् । अथवा विरच्यते इति विरचः प्रदेशश्चासौ विरचश्च प्रदेशविरचः विरच्यमानकर्मप्रदेश इति यावत् ।</span> = <span class="HindiText">कर्मपुद्गलप्रदेश जिसमें विरचा जाता है अर्थात् स्थापित किया गया है वह प्रदेशविरच कहलाता है । अभिप्राय यह है कि यहाँ पर प्रदेशविरच से कर्मस्थिति ली गयी है । अथवा विरच पद की निरुक्ति यह है - विरच्यते अर्थात् जो विरचा जाता है उसे विरच कहते हैं । तथा प्रदेश जो विरच वह प्रदेश विरच कहलाता है । प्रदेशविरच्यमान कर्म प्रदेश यह उसका अभिप्राय है ।</span></p> | <p><span class="GRef"> धवला 14/5,6,287/352/3 </span><span class="SanskritText">कर्मपुद्गलप्रदेशो विरच्यते अस्मिन्निति प्रदेशविरचः कर्मस्थितिरिति यावत् । अथवा विरच्यते इति विरचः प्रदेशश्चासौ विरचश्च प्रदेशविरचः विरच्यमानकर्मप्रदेश इति यावत् ।</span> = <span class="HindiText">कर्मपुद्गलप्रदेश जिसमें विरचा जाता है अर्थात् स्थापित किया गया है वह प्रदेशविरच कहलाता है । अभिप्राय यह है कि यहाँ पर प्रदेशविरच से कर्मस्थिति ली गयी है । अथवा विरच पद की निरुक्ति यह है - विरच्यते अर्थात् जो विरचा जाता है उसे विरच कहते हैं । तथा प्रदेश जो विरच वह प्रदेश विरच कहलाता है । प्रदेशविरच्यमान कर्म प्रदेश यह उसका अभिप्राय है ।</span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 13:01, 14 October 2020
धवला 14/5,6,287/352/3 कर्मपुद्गलप्रदेशो विरच्यते अस्मिन्निति प्रदेशविरचः कर्मस्थितिरिति यावत् । अथवा विरच्यते इति विरचः प्रदेशश्चासौ विरचश्च प्रदेशविरचः विरच्यमानकर्मप्रदेश इति यावत् । = कर्मपुद्गलप्रदेश जिसमें विरचा जाता है अर्थात् स्थापित किया गया है वह प्रदेशविरच कहलाता है । अभिप्राय यह है कि यहाँ पर प्रदेशविरच से कर्मस्थिति ली गयी है । अथवा विरच पद की निरुक्ति यह है - विरच्यते अर्थात् जो विरचा जाता है उसे विरच कहते हैं । तथा प्रदेश जो विरच वह प्रदेश विरच कहलाता है । प्रदेशविरच्यमान कर्म प्रदेश यह उसका अभिप्राय है ।