प्रयोजन: Difference between revisions
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<p> न्यायदर्शन सूत्र/ मू.टी.1/1/24/30 <span class="SanskritText">यमर्थमधिकृत्य प्रवर्तते तत्प्रयोजनम् ।24। यमर्थमाप्तव्यं हातव्यं वाध्यवसाय तदास्ति होनोपायमनुतिष्ठिति प्रयोजनं तद्वेदितब्यम्।</span> = <span class="HindiText">जिस अर्थ को पाने या छोड़ने योग्य निश्चय करके उसके पाने या छोड़ने का उपाय करता है, उसे प्रयोजन कहते हैं ।</span></p> | <p><span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/ </span>मू.टी.1/1/24/30 <span class="SanskritText">यमर्थमधिकृत्य प्रवर्तते तत्प्रयोजनम् ।24। यमर्थमाप्तव्यं हातव्यं वाध्यवसाय तदास्ति होनोपायमनुतिष्ठिति प्रयोजनं तद्वेदितब्यम्।</span> = <span class="HindiText">जिस अर्थ को पाने या छोड़ने योग्य निश्चय करके उसके पाने या छोड़ने का उपाय करता है, उसे प्रयोजन कहते हैं ।</span></p> | ||
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Revision as of 13:01, 14 October 2020
न्यायदर्शन सूत्र/ मू.टी.1/1/24/30 यमर्थमधिकृत्य प्रवर्तते तत्प्रयोजनम् ।24। यमर्थमाप्तव्यं हातव्यं वाध्यवसाय तदास्ति होनोपायमनुतिष्ठिति प्रयोजनं तद्वेदितब्यम्। = जिस अर्थ को पाने या छोड़ने योग्य निश्चय करके उसके पाने या छोड़ने का उपाय करता है, उसे प्रयोजन कहते हैं ।