प्रवचनाद्धा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> धवला 13/5,5,50/284/2 <span class="SanskritText">अद्धा कालः, प्रकृष्टानां शोभनानां वचनानामद्धा कालः यस्यां श्रुतौ सा पवयणद्धा श्रुतज्ञानम् ।</span> = <span class="HindiText">अद्धा काल को कहते हैं, प्रकृष्ट अर्थात् शोभन वचनों का काल जिस श्रुति में होता है, वह प्रवचनाद्धा अर्थात् श्रुतज्ञान है ।</span></p> | <p><span class="GRef"> धवला 13/5,5,50/284/2 </span><span class="SanskritText">अद्धा कालः, प्रकृष्टानां शोभनानां वचनानामद्धा कालः यस्यां श्रुतौ सा पवयणद्धा श्रुतज्ञानम् ।</span> = <span class="HindiText">अद्धा काल को कहते हैं, प्रकृष्ट अर्थात् शोभन वचनों का काल जिस श्रुति में होता है, वह प्रवचनाद्धा अर्थात् श्रुतज्ञान है ।</span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 13:01, 14 October 2020
धवला 13/5,5,50/284/2 अद्धा कालः, प्रकृष्टानां शोभनानां वचनानामद्धा कालः यस्यां श्रुतौ सा पवयणद्धा श्रुतज्ञानम् । = अद्धा काल को कहते हैं, प्रकृष्ट अर्थात् शोभन वचनों का काल जिस श्रुति में होता है, वह प्रवचनाद्धा अर्थात् श्रुतज्ञान है ।