प्रसंग: Difference between revisions
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<p> न्यायदर्शन सूत्र/ टी./1/2/18/53/22<span class="SanskritText"> स च प्रसंगः साधर्म्यवैधर्म्याभ्यां प्रत्यवस्थानमुपालंभ: प्रतिषेध इति । उदाहरणसाधर्म्यात्साध्यसाधनहेतुरित्यस्यदाहरणवैधर्म्येण प्रत्यवस्थानम् ।</span> = <span class="HindiText">वादी द्वारा व्यतिरेक दृष्टांतरूप उदाहरण के विधर्मापन करके ज्ञापक हेतु का कथन कर चुकने पर प्रतिवादी द्वारा साधर्म्य करते, अथवा वादी द्वारा अन्वय दृष्टांतरूप उदाहरण के समान धर्मापन करके ज्ञापक हेतु का कथन करने पर पुनः प्रतिवादी द्वारा विधर्मापन करके प्रत्यवस्थान (उलाहना) देना प्रसंग है । ( श्लोकवार्तिक 4/ न्या./310/457/1 में इस पर चर्चा )।<br /> | <p><span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/ </span>टी./1/2/18/53/22<span class="SanskritText"> स च प्रसंगः साधर्म्यवैधर्म्याभ्यां प्रत्यवस्थानमुपालंभ: प्रतिषेध इति । उदाहरणसाधर्म्यात्साध्यसाधनहेतुरित्यस्यदाहरणवैधर्म्येण प्रत्यवस्थानम् ।</span> = <span class="HindiText">वादी द्वारा व्यतिरेक दृष्टांतरूप उदाहरण के विधर्मापन करके ज्ञापक हेतु का कथन कर चुकने पर प्रतिवादी द्वारा साधर्म्य करते, अथवा वादी द्वारा अन्वय दृष्टांतरूप उदाहरण के समान धर्मापन करके ज्ञापक हेतु का कथन करने पर पुनः प्रतिवादी द्वारा विधर्मापन करके प्रत्यवस्थान (उलाहना) देना प्रसंग है । (<span class="GRef"> श्लोकवार्तिक 4/ </span>न्या./310/457/1 में इस पर चर्चा )।<br /> | ||
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Revision as of 13:01, 14 October 2020
न्यायदर्शन सूत्र/ टी./1/2/18/53/22 स च प्रसंगः साधर्म्यवैधर्म्याभ्यां प्रत्यवस्थानमुपालंभ: प्रतिषेध इति । उदाहरणसाधर्म्यात्साध्यसाधनहेतुरित्यस्यदाहरणवैधर्म्येण प्रत्यवस्थानम् । = वादी द्वारा व्यतिरेक दृष्टांतरूप उदाहरण के विधर्मापन करके ज्ञापक हेतु का कथन कर चुकने पर प्रतिवादी द्वारा साधर्म्य करते, अथवा वादी द्वारा अन्वय दृष्टांतरूप उदाहरण के समान धर्मापन करके ज्ञापक हेतु का कथन करने पर पुनः प्रतिवादी द्वारा विधर्मापन करके प्रत्यवस्थान (उलाहना) देना प्रसंग है । ( श्लोकवार्तिक 4/ न्या./310/457/1 में इस पर चर्चा )।
- अति प्रसंग दोष - देखें अतिप्रसंग ।