वज्रमध्य व्रत: Difference between revisions
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हरिवंशपुराण/34/62-63 −रचना के अनुसार 5,4,3,2,1,2,3,4,5 के क्रम से 29 उपवास करे। बीच के 9 स्थानों में पारणा करे। | <span class="GRef"> हरिवंशपुराण/34/62-63 </span>−रचना के अनुसार 5,4,3,2,1,2,3,4,5 के क्रम से 29 उपवास करे। बीच के 9 स्थानों में पारणा करे। | ||
व्रत विधान संग्रह/पृ. 81−रचना के अनुसार 1,2,3,4,5,5,4,3,2 के क्रम से 29 उपवास करे। बीच के 9 स्थानों में पारणा करे । नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। | व्रत विधान संग्रह/पृ. 81−रचना के अनुसार 1,2,3,4,5,5,4,3,2 के क्रम से 29 उपवास करे। बीच के 9 स्थानों में पारणा करे । नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। | ||
Revision as of 13:02, 14 October 2020
हरिवंशपुराण/34/62-63 −रचना के अनुसार 5,4,3,2,1,2,3,4,5 के क्रम से 29 उपवास करे। बीच के 9 स्थानों में पारणा करे। व्रत विधान संग्रह/पृ. 81−रचना के अनुसार 1,2,3,4,5,5,4,3,2 के क्रम से 29 उपवास करे। बीच के 9 स्थानों में पारणा करे । नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे।