वीतभय: Difference between revisions
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महापुराण/59/ श्लोक–पूर्व धात की खंड में राजा अर्हदास की पुत्री से उत्पन्न एक बलभद्र था। दीर्घकाल राज्य किया।276-279। अंत में दीक्षा ले लांतव स्वर्ग में उत्पन्न हुआ।280। यह ‘मेरु’ नामक गणधर का पूर्व का दूसरा भव है–देखें [[ मेरु ]]। | <span class="GRef"> महापुराण/59/ </span>श्लोक–पूर्व धात की खंड में राजा अर्हदास की पुत्री से उत्पन्न एक बलभद्र था। दीर्घकाल राज्य किया।276-279। अंत में दीक्षा ले लांतव स्वर्ग में उत्पन्न हुआ।280। यह ‘मेरु’ नामक गणधर का पूर्व का दूसरा भव है–देखें [[ मेरु ]]। | ||
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Revision as of 13:02, 14 October 2020
महापुराण/59/ श्लोक–पूर्व धात की खंड में राजा अर्हदास की पुत्री से उत्पन्न एक बलभद्र था। दीर्घकाल राज्य किया।276-279। अंत में दीक्षा ले लांतव स्वर्ग में उत्पन्न हुआ।280। यह ‘मेरु’ नामक गणधर का पूर्व का दूसरा भव है–देखें मेरु ।