वैकालिक: Difference between revisions
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<p> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/367/790/6 <span class="SanskritText"> विशिष्टाः काला विकालास्तेषु भवानि वैकालिकानि। दश वैकालिकानि वर्ण्यंतेऽस्मिंनिति दशवैकालिकं तच्च मुनिजनानां आचरणगोचरविधिं पिंडशुद्धिलक्षणं च वर्णयति। </span>= <span class="HindiText">विशेष रूप काल को विकाल कहते हैं। उस काल के होने पर जो होते हैं वे वैकालिक कहलाते हैं। इसमें दश वैकालिक का प्ररूपण है, इसलिए इसका नाम दशवैकालिक प्रकीर्णक है। इसमें मुनियों के आचार व आहार की शुद्धता और लक्षण का प्ररूपण है। </span></p> | <p><span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/367/790/6 </span><span class="SanskritText"> विशिष्टाः काला विकालास्तेषु भवानि वैकालिकानि। दश वैकालिकानि वर्ण्यंतेऽस्मिंनिति दशवैकालिकं तच्च मुनिजनानां आचरणगोचरविधिं पिंडशुद्धिलक्षणं च वर्णयति। </span>= <span class="HindiText">विशेष रूप काल को विकाल कहते हैं। उस काल के होने पर जो होते हैं वे वैकालिक कहलाते हैं। इसमें दश वैकालिक का प्ररूपण है, इसलिए इसका नाम दशवैकालिक प्रकीर्णक है। इसमें मुनियों के आचार व आहार की शुद्धता और लक्षण का प्ररूपण है। </span></p> | ||
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Revision as of 13:02, 14 October 2020
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/367/790/6 विशिष्टाः काला विकालास्तेषु भवानि वैकालिकानि। दश वैकालिकानि वर्ण्यंतेऽस्मिंनिति दशवैकालिकं तच्च मुनिजनानां आचरणगोचरविधिं पिंडशुद्धिलक्षणं च वर्णयति। = विशेष रूप काल को विकाल कहते हैं। उस काल के होने पर जो होते हैं वे वैकालिक कहलाते हैं। इसमें दश वैकालिक का प्ररूपण है, इसलिए इसका नाम दशवैकालिक प्रकीर्णक है। इसमें मुनियों के आचार व आहार की शुद्धता और लक्षण का प्ररूपण है।