व्यामोह: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> मोक्षपाहुड़ / टी. /27/322/15 <span class="SanskritText">व्यामोहं पुत्रकलत्रमित्रादिस्नेहः। वामानां स्त्रीणां वा ओहो वामौहः तत्तथोक्तं समाहारो द्वंद्वः। </span>= <span class="HindiText">पुत्र कलत्र मित्रादि का स्नेह व्यामोह है। अथवा वाम अर्थात् स्त्रियों का ओह वाम ओह है। वाम+ओह ऐसा यहाँ पर द्वंद्व समास है। </span><br /> | <p><span class="GRef"> मोक्षपाहुड़ / </span>टी. /27/322/15 <span class="SanskritText">व्यामोहं पुत्रकलत्रमित्रादिस्नेहः। वामानां स्त्रीणां वा ओहो वामौहः तत्तथोक्तं समाहारो द्वंद्वः। </span>= <span class="HindiText">पुत्र कलत्र मित्रादि का स्नेह व्यामोह है। अथवा वाम अर्थात् स्त्रियों का ओह वाम ओह है। वाम+ओह ऐसा यहाँ पर द्वंद्व समास है। </span><br /> | ||
व्यावृत्ति– न्यायविनिश्चय/ वृ./2/31/63/7 <span class="SanskritText">व्यावृत्तिं स्वलक्षणानां विच्छेदः। </span>= <span class="HindiText">अपने लक्षणों का विच्छेद व्यावृत्ति है। </span><br /> | व्यावृत्ति–<span class="GRef"> न्यायविनिश्चय/ </span>वृ./2/31/63/7 <span class="SanskritText">व्यावृत्तिं स्वलक्षणानां विच्छेदः। </span>= <span class="HindiText">अपने लक्षणों का विच्छेद व्यावृत्ति है। </span><br /> | ||
स्या./मं./4/17/1 <span class="SanskritText">व्यतिवृत्तिः व्यावृत्तिः, सजातीयविजातीयेभ्यःसर्वथा व्यवच्छेदः। </span><br /> | स्या./मं./4/17/1 <span class="SanskritText">व्यतिवृत्तिः व्यावृत्तिः, सजातीयविजातीयेभ्यःसर्वथा व्यवच्छेदः। </span><br /> | ||
स्या./मं./14/166/7<span class="SanskritText"> व्यावृत्तिर्हि विवक्षितपदार्थे इतरपदार्थप्रतिषेधः। </span>= <span class="HindiText">सजातीय और विजातीय पदार्थों से सर्वथा अलग होने वाली प्रतीति को व्यावृत्ति अथवा विशेष कहते हैं। अथवा विवक्षित पदार्थ में दूसरे पदार्थ के निषेध को व्यावृत्ति कहते हैं। <br /> | स्या./मं./14/166/7<span class="SanskritText"> व्यावृत्तिर्हि विवक्षितपदार्थे इतरपदार्थप्रतिषेधः। </span>= <span class="HindiText">सजातीय और विजातीय पदार्थों से सर्वथा अलग होने वाली प्रतीति को व्यावृत्ति अथवा विशेष कहते हैं। अथवा विवक्षित पदार्थ में दूसरे पदार्थ के निषेध को व्यावृत्ति कहते हैं। <br /> |
Revision as of 13:02, 14 October 2020
मोक्षपाहुड़ / टी. /27/322/15 व्यामोहं पुत्रकलत्रमित्रादिस्नेहः। वामानां स्त्रीणां वा ओहो वामौहः तत्तथोक्तं समाहारो द्वंद्वः। = पुत्र कलत्र मित्रादि का स्नेह व्यामोह है। अथवा वाम अर्थात् स्त्रियों का ओह वाम ओह है। वाम+ओह ऐसा यहाँ पर द्वंद्व समास है।
व्यावृत्ति– न्यायविनिश्चय/ वृ./2/31/63/7 व्यावृत्तिं स्वलक्षणानां विच्छेदः। = अपने लक्षणों का विच्छेद व्यावृत्ति है।
स्या./मं./4/17/1 व्यतिवृत्तिः व्यावृत्तिः, सजातीयविजातीयेभ्यःसर्वथा व्यवच्छेदः।
स्या./मं./14/166/7 व्यावृत्तिर्हि विवक्षितपदार्थे इतरपदार्थप्रतिषेधः। = सजातीय और विजातीय पदार्थों से सर्वथा अलग होने वाली प्रतीति को व्यावृत्ति अथवा विशेष कहते हैं। अथवा विवक्षित पदार्थ में दूसरे पदार्थ के निषेध को व्यावृत्ति कहते हैं।
देखें पर्याय - 1.1.2 (पर्याय, व्यावृत्ति, विशेष व अपवाद ये एकार्थवाची हैं।)