अनुकोशा: Difference between revisions
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<p> दारुग्रामवासी विमुचि ब्राह्मण की आर्या, अतिभूति की जननी । इसने कमलकांता आर्यिका से दीक्षित होकर तप धारण कर लिया था । शुभ ध्यान पूर्वक महानि:स्पृह भाव से मरण कर यह ब्रह्मलोक में देवी हुई थी तथा यहाँ से च्युत हो चंद्रगति विद्याधर की पुष्पवती नाम की भार्या हुई । <span class="GRef"> पद्मपुराण 30.116, 124-125, 134 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> दारुग्रामवासी विमुचि ब्राह्मण की आर्या, अतिभूति की जननी । इसने कमलकांता आर्यिका से दीक्षित होकर तप धारण कर लिया था । शुभ ध्यान पूर्वक महानि:स्पृह भाव से मरण कर यह ब्रह्मलोक में देवी हुई थी तथा यहाँ से च्युत हो चंद्रगति विद्याधर की पुष्पवती नाम की भार्या हुई । <span class="GRef"> पद्मपुराण 30.116, 124-125, 134 </span></p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
दारुग्रामवासी विमुचि ब्राह्मण की आर्या, अतिभूति की जननी । इसने कमलकांता आर्यिका से दीक्षित होकर तप धारण कर लिया था । शुभ ध्यान पूर्वक महानि:स्पृह भाव से मरण कर यह ब्रह्मलोक में देवी हुई थी तथा यहाँ से च्युत हो चंद्रगति विद्याधर की पुष्पवती नाम की भार्या हुई । पद्मपुराण 30.116, 124-125, 134