अनुत्तरोपपारिकदशांग: Difference between revisions
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<p> नवम अंग । इसमें बानवें लाख चवालीस हजार पद हैं । इन पदों मे स्त्री, पुरुष और नपुंसक के भेद से तीन प्रकार के तिर्यंच और तीन प्रकार के <span class="GRef"> महापुराण </span>कृत तथा स्त्री और पुरुष के भेद से दो प्रकार के देवकृत इस प्रकार कुल आठ चेतनकृत तथा दो अचतेनकृत-कुष्टादि शारीरिक तथा शिला आदि का पतन, इस प्रकार कुल दश प्रकार के उपसर्ग सहन कर अनुत्तर विमानों मे उत्पन्न होने वाले दस मुनियों का वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> महापुराण </span> 34.143 <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.40-42, </span>देखें [[ अंग ]]</p> | <div class="HindiText"> <p> नवम अंग । इसमें बानवें लाख चवालीस हजार पद हैं । इन पदों मे स्त्री, पुरुष और नपुंसक के भेद से तीन प्रकार के तिर्यंच और तीन प्रकार के <span class="GRef"> महापुराण </span>कृत तथा स्त्री और पुरुष के भेद से दो प्रकार के देवकृत इस प्रकार कुल आठ चेतनकृत तथा दो अचतेनकृत-कुष्टादि शारीरिक तथा शिला आदि का पतन, इस प्रकार कुल दश प्रकार के उपसर्ग सहन कर अनुत्तर विमानों मे उत्पन्न होने वाले दस मुनियों का वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> महापुराण </span> 34.143 <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.40-42, </span>देखें [[ अंग ]]</p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
नवम अंग । इसमें बानवें लाख चवालीस हजार पद हैं । इन पदों मे स्त्री, पुरुष और नपुंसक के भेद से तीन प्रकार के तिर्यंच और तीन प्रकार के महापुराण कृत तथा स्त्री और पुरुष के भेद से दो प्रकार के देवकृत इस प्रकार कुल आठ चेतनकृत तथा दो अचतेनकृत-कुष्टादि शारीरिक तथा शिला आदि का पतन, इस प्रकार कुल दश प्रकार के उपसर्ग सहन कर अनुत्तर विमानों मे उत्पन्न होने वाले दस मुनियों का वर्णन किया गया है । महापुराण 34.143 हरिवंशपुराण 10.40-42, देखें अंग