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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1">(1) ब्रह्मलोक के निवासी, शुभलेश्या एवं महाऋद्धिधारी लौकांतिक देव । ये अभिनिष्क्रमण कल्याणक में तीर्थंकरों को संबोधने के लिए भूतल पर आते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 17.47-50, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 12.2-8 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) ब्रह्मलोक के निवासी, शुभलेश्या एवं महाऋद्धिधारी लौकांतिक देव । ये अभिनिष्क्रमण कल्याणक में तीर्थंकरों को संबोधने के लिए भूतल पर आते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 17.47-50, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 12.2-8 </span></p> | ||
<p id="2">(2) कृष्ण की शक्ति का परीक्षक एक असुर । <span class="GRef"> महापुराण 70.427 </span></p> | <p id="2">(2) कृष्ण की शक्ति का परीक्षक एक असुर । <span class="GRef"> महापुराण 70.427 </span></p> | ||
<p id="3">(3) दक्षिण दिशा के स्वामी यम का विमान । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.325 </span></p> | <p id="3">(3) दक्षिण दिशा के स्वामी यम का विमान । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.325 </span></p> | ||
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<p id="6">(6) मद्यांग जाति के वृक्षों से प्राप्त होने वाला रस । <span class="GRef"> महापुराण 9.37 </span></p> | <p id="6">(6) मद्यांग जाति के वृक्षों से प्राप्त होने वाला रस । <span class="GRef"> महापुराण 9.37 </span></p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
1. लौकांतिक देवोंका एक भेद-देखें लौकांतिक ; 2. ब्रह्मस्वर्गका प्रथम पटल - देखें स्वर्ग - 5.3। 3. रुचक पर्वतस्थ एक कूट- देखें लोक - 5
पुराणकोष से
(1) ब्रह्मलोक के निवासी, शुभलेश्या एवं महाऋद्धिधारी लौकांतिक देव । ये अभिनिष्क्रमण कल्याणक में तीर्थंकरों को संबोधने के लिए भूतल पर आते हैं । महापुराण 17.47-50, वीरवर्द्धमान चरित्र 12.2-8
(2) कृष्ण की शक्ति का परीक्षक एक असुर । महापुराण 70.427
(3) दक्षिण दिशा के स्वामी यम का विमान । हरिवंशपुराण 5.325
(4) रुचकवर नामक तेरहवें द्वीप के रुचकवर नाम के गिरि की पूर्व दिशा मे स्थित आठ कूटों में इस नाम का एक कूट । इस कूट पर अपराजिता देवी निवास करती है । हरिवंशपुराण 5.705
(5) ब्रह्म युगल का प्रथम इंद्रक विमान । हरिवंशपुराण 6.49 देखें ब्रह्म
(6) मद्यांग जाति के वृक्षों से प्राप्त होने वाला रस । महापुराण 9.37