अर्कोपसेवन: Difference between revisions
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<p> सूर्योपासना । अयोध्या नगरी में काश्यप गोत्र के इक्ष्वाकुवंशी राजा वज्रबाहु और रानी प्रभंकरी का आनंद नामक पुत्र था । इसने विकृति मुनि से धर्मश्रवण किया था । मुनि ने इसे चैत्य और चैत्यालयों को अचेतन होते हुए पुण्यबंध के कारण बताया था और सूर्य विमान तथा उसमें जिनमंदिर भी बनवाया था । इस प्रकार इस राजा की सूर्योपासना को देखकर दूसरे लोग भी सूर्य-स्तुति करने लगे, और लोक में सूर्योपासना आरंभ हो गयी । <span class="GRef"> महापुराण 73.42-60 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सूर्योपासना । अयोध्या नगरी में काश्यप गोत्र के इक्ष्वाकुवंशी राजा वज्रबाहु और रानी प्रभंकरी का आनंद नामक पुत्र था । इसने विकृति मुनि से धर्मश्रवण किया था । मुनि ने इसे चैत्य और चैत्यालयों को अचेतन होते हुए पुण्यबंध के कारण बताया था और सूर्य विमान तथा उसमें जिनमंदिर भी बनवाया था । इस प्रकार इस राजा की सूर्योपासना को देखकर दूसरे लोग भी सूर्य-स्तुति करने लगे, और लोक में सूर्योपासना आरंभ हो गयी । <span class="GRef"> महापुराण 73.42-60 </span></p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
सूर्योपासना । अयोध्या नगरी में काश्यप गोत्र के इक्ष्वाकुवंशी राजा वज्रबाहु और रानी प्रभंकरी का आनंद नामक पुत्र था । इसने विकृति मुनि से धर्मश्रवण किया था । मुनि ने इसे चैत्य और चैत्यालयों को अचेतन होते हुए पुण्यबंध के कारण बताया था और सूर्य विमान तथा उसमें जिनमंदिर भी बनवाया था । इस प्रकार इस राजा की सूर्योपासना को देखकर दूसरे लोग भी सूर्य-स्तुति करने लगे, और लोक में सूर्योपासना आरंभ हो गयी । महापुराण 73.42-60