असिपत्र: Difference between revisions
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<p>1. असुरकुमार जातीय भवनवासी देवोंका एकभेद। देखें [[ असुर ]]। 1. नरकमें पाये जानेवाले वृक्ष विशेष - देखें [[ नरक#2 | नरक - 2]]।</p> | <p>1. असुरकुमार जातीय भवनवासी देवोंका एकभेद। देखें [[ असुर ]]। 1. नरकमें पाये जानेवाले वृक्ष विशेष - देखें [[ नरक#2 | नरक - 2]]।</p> | ||
<p>(परस्परके दुःख)।</p> | <p>(परस्परके दुःख)।</p> | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> खड़ग की धार के समान पैने पत्तों वाले नारकीय वन । नारकीय जीव गर्मी के दुःख से पीड़ित होकर छाया प्राप्ति के इच्छा से जैसे ही इन वनों में पहुंचते हैं यहाँ के वृक्षों से गिरते हुए पत्र उनके शरीर को छिन्न-भिन्न कर देते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 10.56-57, 69, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 26.80, 86, 105.122-123, 123. 14, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 136-137 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> खड़ग की धार के समान पैने पत्तों वाले नारकीय वन । नारकीय जीव गर्मी के दुःख से पीड़ित होकर छाया प्राप्ति के इच्छा से जैसे ही इन वनों में पहुंचते हैं यहाँ के वृक्षों से गिरते हुए पत्र उनके शरीर को छिन्न-भिन्न कर देते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 10.56-57, 69, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 26.80, 86, 105.122-123, 123. 14, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 136-137 </span></p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
1. असुरकुमार जातीय भवनवासी देवोंका एकभेद। देखें असुर । 1. नरकमें पाये जानेवाले वृक्ष विशेष - देखें नरक - 2।
(परस्परके दुःख)।
पुराणकोष से
खड़ग की धार के समान पैने पत्तों वाले नारकीय वन । नारकीय जीव गर्मी के दुःख से पीड़ित होकर छाया प्राप्ति के इच्छा से जैसे ही इन वनों में पहुंचते हैं यहाँ के वृक्षों से गिरते हुए पत्र उनके शरीर को छिन्न-भिन्न कर देते हैं । महापुराण 10.56-57, 69, पद्मपुराण 26.80, 86, 105.122-123, 123. 14, वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 136-137