अहिंसाणुव्रत: Difference between revisions
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<p> पाँच अणुव्रतों में इस नाम का प्रथम अणुव्रत । इसमें मन, वचन और काय तथा कृतकारित और अनुमोदना में त्रस जीवो की यत्न पूर्वक रक्षा की जाती है । इसके बंध, वध, छेदन, अतिभारारोण और अन्नपाननिरोध ये पाँच अतिचार होते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.138, 163-165, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.38 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> पाँच अणुव्रतों में इस नाम का प्रथम अणुव्रत । इसमें मन, वचन और काय तथा कृतकारित और अनुमोदना में त्रस जीवो की यत्न पूर्वक रक्षा की जाती है । इसके बंध, वध, छेदन, अतिभारारोण और अन्नपाननिरोध ये पाँच अतिचार होते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.138, 163-165, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.38 </span></p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
पाँच अणुव्रतों में इस नाम का प्रथम अणुव्रत । इसमें मन, वचन और काय तथा कृतकारित और अनुमोदना में त्रस जीवो की यत्न पूर्वक रक्षा की जाती है । इसके बंध, वध, छेदन, अतिभारारोण और अन्नपाननिरोध ये पाँच अतिचार होते हैं । हरिवंशपुराण 58.138, 163-165, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.38