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<p>1. हिमवान् पर्वतका एक कूट व तन्निवासिनी देवी-देखें [[ लोक#5.4 2 | लोक - 5.4 2]]. रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी - देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]।</p> | <p>1. हिमवान् पर्वतका एक कूट व तन्निवासिनी देवी-देखें [[ लोक#5.4 2 | लोक - 5.4 2]]. रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी - देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]।</p> | ||
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<p id="1">(1) भरतक्षेत्र के हिमवान् पर्वत पर स्थित ग्यारह फूटी में चौथा कूट । इसकी ऊँचाई पच्चीस योजन है । यह मूल में पच्चीस योजन, मध्य में पौने उन्नीस योजन और ऊपर साढ़े बाहर योजन विस्तृत है । <span class="GRef"> महापुराण 59.118, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.52-56 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) भरतक्षेत्र के हिमवान् पर्वत पर स्थित ग्यारह फूटी में चौथा कूट । इसकी ऊँचाई पच्चीस योजन है । यह मूल में पच्चीस योजन, मध्य में पौने उन्नीस योजन और ऊपर साढ़े बाहर योजन विस्तृत है । <span class="GRef"> महापुराण 59.118, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.52-56 </span></p> | ||
<p id="2">(2) रुचकवर गिरि के लोहिताश्व कटू की देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.712 </span></p> | <p id="2">(2) रुचकवर गिरि के लोहिताश्व कटू की देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.712 </span></p> | ||
<p id="3">(3) हरिवंशी राजा दक्ष की रानी । इसके ऐलेय नामक पुत्र और मनोहरी नाम की पुत्री हुई थी । राजा दक्ष अपनी इस पुत्री में आकृष्ट हुआ और उसने इसे स्वयं ग्रहण कर लिया था । इस कृत्य से रूष्ट हो यह पुत्र को लेकर एक दुर्गम स्थान में चली गयी थी । वहाँ इसने इलावर्द्धन नाम से प्रसिद्ध नगर बसाया था तथा पुत्र ऐलेय को उसका राजा बनाया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.1-19 </span></p> | <p id="3">(3) हरिवंशी राजा दक्ष की रानी । इसके ऐलेय नामक पुत्र और मनोहरी नाम की पुत्री हुई थी । राजा दक्ष अपनी इस पुत्री में आकृष्ट हुआ और उसने इसे स्वयं ग्रहण कर लिया था । इस कृत्य से रूष्ट हो यह पुत्र को लेकर एक दुर्गम स्थान में चली गयी थी । वहाँ इसने इलावर्द्धन नाम से प्रसिद्ध नगर बसाया था तथा पुत्र ऐलेय को उसका राजा बनाया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.1-19 </span></p> | ||
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Revision as of 16:52, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
1. हिमवान् पर्वतका एक कूट व तन्निवासिनी देवी-देखें लोक - 5.4 2. रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी - देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र के हिमवान् पर्वत पर स्थित ग्यारह फूटी में चौथा कूट । इसकी ऊँचाई पच्चीस योजन है । यह मूल में पच्चीस योजन, मध्य में पौने उन्नीस योजन और ऊपर साढ़े बाहर योजन विस्तृत है । महापुराण 59.118, हरिवंशपुराण 5.52-56
(2) रुचकवर गिरि के लोहिताश्व कटू की देवी । हरिवंशपुराण 5.712
(3) हरिवंशी राजा दक्ष की रानी । इसके ऐलेय नामक पुत्र और मनोहरी नाम की पुत्री हुई थी । राजा दक्ष अपनी इस पुत्री में आकृष्ट हुआ और उसने इसे स्वयं ग्रहण कर लिया था । इस कृत्य से रूष्ट हो यह पुत्र को लेकर एक दुर्गम स्थान में चली गयी थी । वहाँ इसने इलावर्द्धन नाम से प्रसिद्ध नगर बसाया था तथा पुत्र ऐलेय को उसका राजा बनाया था । हरिवंशपुराण 17.1-19