उक्तिकौशल: Difference between revisions
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<p> भाषण कला । यह स्थान, स्वर, संस्कार, विन्यास, काकु, समुदाय, विराम, सामान्याभिहित (पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग), समानार्थत्व (एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का प्रतिपादन) और भाषा इन सबसे युक्त होती है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 24.27-35 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> भाषण कला । यह स्थान, स्वर, संस्कार, विन्यास, काकु, समुदाय, विराम, सामान्याभिहित (पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग), समानार्थत्व (एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का प्रतिपादन) और भाषा इन सबसे युक्त होती है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 24.27-35 </span></p> | ||
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Revision as of 16:52, 14 November 2020
भाषण कला । यह स्थान, स्वर, संस्कार, विन्यास, काकु, समुदाय, विराम, सामान्याभिहित (पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग), समानार्थत्व (एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का प्रतिपादन) और भाषा इन सबसे युक्त होती है । पद्मपुराण 24.27-35