उपवृंहण: Difference between revisions
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<p> सम्यग्दर्शन का एक अंग । इसके द्वारा क्षमा आदि भावनाओं से आत्मधर्म की बुद्धि की जाती हैं । <span class="GRef"> महापुराण 63.318 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सम्यग्दर्शन का एक अंग । इसके द्वारा क्षमा आदि भावनाओं से आत्मधर्म की बुद्धि की जाती हैं । <span class="GRef"> महापुराण 63.318 </span></p> | ||
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Revision as of 16:52, 14 November 2020
सम्यग्दर्शन का एक अंग । इसके द्वारा क्षमा आदि भावनाओं से आत्मधर्म की बुद्धि की जाती हैं । महापुराण 63.318