उपासकाध्ययन: Difference between revisions
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> निखिल श्रावकाचार के विवेचक द्वादशांग श्रुत का सातवाँ अंग । इसमें ग्यारह स्थानों (प्रतिमाओं) के उपासकों की क्रियाओं का निरूपण किया गया है । इसमें ग्यारह लाख छप्पन हजार पद है । <span class="GRef"> महापुराण 34.133, 141, 63. 300-301, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10. 37 </span>देखें [[ अंग ]]</p> | <div class="HindiText"> <p> निखिल श्रावकाचार के विवेचक द्वादशांग श्रुत का सातवाँ अंग । इसमें ग्यारह स्थानों (प्रतिमाओं) के उपासकों की क्रियाओं का निरूपण किया गया है । इसमें ग्यारह लाख छप्पन हजार पद है । <span class="GRef"> महापुराण 34.133, 141, 63. 300-301, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10. 37 </span>देखें [[ अंग ]]</p> | ||
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Revision as of 16:52, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
द्रव्यश्रुतज्ञानका सातवाँ अंग-देखें श्रुतज्ञान - III
पुराणकोष से
निखिल श्रावकाचार के विवेचक द्वादशांग श्रुत का सातवाँ अंग । इसमें ग्यारह स्थानों (प्रतिमाओं) के उपासकों की क्रियाओं का निरूपण किया गया है । इसमें ग्यारह लाख छप्पन हजार पद है । महापुराण 34.133, 141, 63. 300-301, हरिवंशपुराण 10. 37 देखें अंग