कल्याण: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) मुनि आनंदमाल का भाई ऋद्धिधारी साधु । अपने भाई के निंदक इंद्र विद्याधर को इसने शाप दिया था कि आनंदमाल का तिरस्कार करने के कारण उसे भी तिरस्कार मिलेगा । अपने दीर्घ और उष्ण निःश्वास से यह उसे दग्ध ही कर देना चाहता था किंतु विद्याधर की पत्नी सर्वश्री ने इसे शांत कर दिया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 13.86-89 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) मुनि आनंदमाल का भाई ऋद्धिधारी साधु । अपने भाई के निंदक इंद्र विद्याधर को इसने शाप दिया था कि आनंदमाल का तिरस्कार करने के कारण उसे भी तिरस्कार मिलेगा । अपने दीर्घ और उष्ण निःश्वास से यह उसे दग्ध ही कर देना चाहता था किंतु विद्याधर की पत्नी सर्वश्री ने इसे शांत कर दिया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 13.86-89 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकरों के पंचकल्याणक । <span class="GRef"> महापुराण 6.143 </span></p> | <p id="2">(2) तीर्थंकरों के पंचकल्याणक । <span class="GRef"> महापुराण 6.143 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विवाह । <span class="GRef"> महापुराण 71.144,63.117 </span></p> | <p id="3">(3) विवाह । <span class="GRef"> महापुराण 71.144,63.117 </span></p> | ||
<p id="4">(4) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.193 </span></p> | <p id="4">(4) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.193 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
श्रुतज्ञान ज्ञान का 10 वाँ पूर्व–देखें श्रुतज्ञान - III
पुराणकोष से
(1) मुनि आनंदमाल का भाई ऋद्धिधारी साधु । अपने भाई के निंदक इंद्र विद्याधर को इसने शाप दिया था कि आनंदमाल का तिरस्कार करने के कारण उसे भी तिरस्कार मिलेगा । अपने दीर्घ और उष्ण निःश्वास से यह उसे दग्ध ही कर देना चाहता था किंतु विद्याधर की पत्नी सर्वश्री ने इसे शांत कर दिया था । पद्मपुराण 13.86-89
(2) तीर्थंकरों के पंचकल्याणक । महापुराण 6.143
(3) विवाह । महापुराण 71.144,63.117
(4) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.193