केतुमती: Difference between revisions
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<p id="1">(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में स्थित आदित्यनगर के राजा प्रह्लाद की प्रिया और वायुगति (पवनंजय) की जननी । इसने अपनी वधू अंजना को गर्भवती देखकर कुवचन कहते हुए उसे उसके पिता के नगर के समीप छुड़वा दिया था । इस पर पुत्र पवनंजय ने निश्चय किया कि यदि वह प्रिया को नहीं देखेगा तो मर जायेगा । इस निश्चय को जानकर इसने अपने कृत्य पर बहुत पश्चात्ताप भी किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 15.6-8, 17. 7-21, 18. 58-66 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में स्थित आदित्यनगर के राजा प्रह्लाद की प्रिया और वायुगति (पवनंजय) की जननी । इसने अपनी वधू अंजना को गर्भवती देखकर कुवचन कहते हुए उसे उसके पिता के नगर के समीप छुड़वा दिया था । इस पर पुत्र पवनंजय ने निश्चय किया कि यदि वह प्रिया को नहीं देखेगा तो मर जायेगा । इस निश्चय को जानकर इसने अपने कृत्य पर बहुत पश्चात्ताप भी किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 15.6-8, 17. 7-21, 18. 58-66 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विद्युद्दंष्ट्र के वंश में उत्पन्न गगनवल्लभ नगर की राजपुत्री बालचंद्रा के वश में हुई एक कन्या और अर्धचक्री पुंडरीक की भार्या । पुंडरीक ने इसे बंधनमुक्त किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 26.50-53 </span></p> | <p id="2">(2) विद्युद्दंष्ट्र के वंश में उत्पन्न गगनवल्लभ नगर की राजपुत्री बालचंद्रा के वश में हुई एक कन्या और अर्धचक्री पुंडरीक की भार्या । पुंडरीक ने इसे बंधनमुक्त किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 26.50-53 </span></p> | ||
<p id="3">(3) राजा जरासंध की पुत्री और राजा जितशत्रु की रानी । वसुदेव ने महामंत्रों से इसके पिशाच का निग्रह किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 30.45-47 </span></p> | <p id="3">(3) राजा जरासंध की पुत्री और राजा जितशत्रु की रानी । वसुदेव ने महामंत्रों से इसके पिशाच का निग्रह किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 30.45-47 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में स्थित आदित्यनगर के राजा प्रह्लाद की प्रिया और वायुगति (पवनंजय) की जननी । इसने अपनी वधू अंजना को गर्भवती देखकर कुवचन कहते हुए उसे उसके पिता के नगर के समीप छुड़वा दिया था । इस पर पुत्र पवनंजय ने निश्चय किया कि यदि वह प्रिया को नहीं देखेगा तो मर जायेगा । इस निश्चय को जानकर इसने अपने कृत्य पर बहुत पश्चात्ताप भी किया था । पद्मपुराण 15.6-8, 17. 7-21, 18. 58-66
(2) विद्युद्दंष्ट्र के वंश में उत्पन्न गगनवल्लभ नगर की राजपुत्री बालचंद्रा के वश में हुई एक कन्या और अर्धचक्री पुंडरीक की भार्या । पुंडरीक ने इसे बंधनमुक्त किया था । हरिवंशपुराण 26.50-53
(3) राजा जरासंध की पुत्री और राजा जितशत्रु की रानी । वसुदेव ने महामंत्रों से इसके पिशाच का निग्रह किया था । हरिवंशपुराण 30.45-47