क्षीरकदंब: Difference between revisions
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<span class="GRef"> पद्मपुराण/11/ </span>श्लोक, नारद व वसु का गुरु तथा नारद का पिता था। (16)/शिष्यों के पढ़ाते समय मुनियों की भविष्यवाणी सुनकर दीक्षा धारण कर ली (24)/ (<span class="GRef"> महापुराण/67/258-326 </span>)। | <span class="GRef"> पद्मपुराण/11/ </span>श्लोक, नारद व वसु का गुरु तथा नारद का पिता था। (16)/शिष्यों के पढ़ाते समय मुनियों की भविष्यवाणी सुनकर दीक्षा धारण कर ली (24)/ (<span class="GRef"> महापुराण/67/258-326 </span>)। | ||
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<p> जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के धवल देश में स्थित स्वतिकावती नगरी का निवासी एक विद्वान् ब्राह्मण । यह इसी नगर के राजा विश्वावसु के पुत्र वसु, अपने पुत्र पर्वत और दूसरे देश से आये हुए नारद का गुरु था । आयु के अंत मे इसने संयम धारण किया और सन्यासमरण के द्वारा यह स्वर्ग में देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 67. 256-259, 326 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के धवल देश में स्थित स्वतिकावती नगरी का निवासी एक विद्वान् ब्राह्मण । यह इसी नगर के राजा विश्वावसु के पुत्र वसु, अपने पुत्र पर्वत और दूसरे देश से आये हुए नारद का गुरु था । आयु के अंत मे इसने संयम धारण किया और सन्यासमरण के द्वारा यह स्वर्ग में देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 67. 256-259, 326 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
पद्मपुराण/11/ श्लोक, नारद व वसु का गुरु तथा नारद का पिता था। (16)/शिष्यों के पढ़ाते समय मुनियों की भविष्यवाणी सुनकर दीक्षा धारण कर ली (24)/ ( महापुराण/67/258-326 )।
पुराणकोष से
जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के धवल देश में स्थित स्वतिकावती नगरी का निवासी एक विद्वान् ब्राह्मण । यह इसी नगर के राजा विश्वावसु के पुत्र वसु, अपने पुत्र पर्वत और दूसरे देश से आये हुए नारद का गुरु था । आयु के अंत मे इसने संयम धारण किया और सन्यासमरण के द्वारा यह स्वर्ग में देव हुआ । महापुराण 67. 256-259, 326