गुणवती: Difference between revisions
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(पां.पु./7/107-117) वृक्ष के नीचे पड़ी एक धीवर को मिली। रत्नपुर के राजा रत्नांगद की पुत्री थी। धीवर के घर पली। भीष्म के पिता के साथ इस शर्त पर विवाही गयी कि इसकी संतान ही राज्य की अधिकारिणी होगी। इसे योजनगंधा भी कहते हैं। ‘व्यासदेव’ इसी के पुत्र थे। | (पां.पु./7/107-117) वृक्ष के नीचे पड़ी एक धीवर को मिली। रत्नपुर के राजा रत्नांगद की पुत्री थी। धीवर के घर पली। भीष्म के पिता के साथ इस शर्त पर विवाही गयी कि इसकी संतान ही राज्य की अधिकारिणी होगी। इसे योजनगंधा भी कहते हैं। ‘व्यासदेव’ इसी के पुत्र थे। | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) प्रभावती आर्यिका की सहवर्तिनी एक गणिनी यह राजा प्रजापाल की पुत्री थी और इसने अमितमति आर्यिका के सान्निध्य में संयम धारण कर लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 46.223, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3. 227 </span>इसने श्रीधरा और यशोधरा को तथा धनश्री को दीक्षा दी थी । <span class="GRef"> महापुराण 59.232, 72.235, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.82, 64.12-13 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) प्रभावती आर्यिका की सहवर्तिनी एक गणिनी यह राजा प्रजापाल की पुत्री थी और इसने अमितमति आर्यिका के सान्निध्य में संयम धारण कर लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 46.223, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3. 227 </span>इसने श्रीधरा और यशोधरा को तथा धनश्री को दीक्षा दी थी । <span class="GRef"> महापुराण 59.232, 72.235, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.82, 64.12-13 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वानरवंशी राजा अमरप्रभ की भार्या । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.162 </span></p> | <p id="2">(2) वानरवंशी राजा अमरप्रभ की भार्या । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.162 </span></p> | ||
<p id="3">(3) सुग्रीव की ग्यारहवीं पुत्री । <span class="GRef"> पद्मपुराण 47.141 </span></p> | <p id="3">(3) सुग्रीव की ग्यारहवीं पुत्री । <span class="GRef"> पद्मपुराण 47.141 </span></p> | ||
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<p id="5">(5) रत्नपुर नगर के राजा रत्नांगद तथा उसकी रानी रत्नवती की पुत्री । इसे रत्यांगद के किसी शत्रु ने हरण करके यमुना के तट पर छोड़ दिया था । एक धीवर को यह प्राप्त हुई । उसके पुत्र-पुत्री न होने से वह उसी धीवर के द्वारा पाली गयी तथा धीवर द्वारा हो इसका यह नाम रखा गया । यह योजनगंधा थी? इसके शरीर की सुगंध एक योजन तक फैल जाती थी । राजा पाराशर इसे देख कर इस पर मुग्ध हो गया । इसको पाने की कामना से धीवर के पास जाकर उसने अपनी इच्छा प्रकट की । धीवर को पता था कि पाराशर का पुत्र गांगेय बड़ा पराक्रमी है और राज्याधिकारी है । उसने पाराशर की बात नहीं मानी । जब गांगेय को यह पता चला कि उसका पिता धीवर-कन्या को चाहता है तो उसने धीवर को विश्वास दिलाया कि राज्य का अधिकारी गुणवती का पुत्र ही होगा । वह आजीवन ब्रह्मचारी रहेगा । धीवर ने प्रसन्न होकर अपनी पुत्री का विवाह पाराशर के साथ कर दिया । गुणवती व्यास की जननी हुई । यही पाराशर के पश्चात् राजा हुआ । <span class="GRef"> पांडवपुराण 7.83-115 </span></p> | <p id="5">(5) रत्नपुर नगर के राजा रत्नांगद तथा उसकी रानी रत्नवती की पुत्री । इसे रत्यांगद के किसी शत्रु ने हरण करके यमुना के तट पर छोड़ दिया था । एक धीवर को यह प्राप्त हुई । उसके पुत्र-पुत्री न होने से वह उसी धीवर के द्वारा पाली गयी तथा धीवर द्वारा हो इसका यह नाम रखा गया । यह योजनगंधा थी? इसके शरीर की सुगंध एक योजन तक फैल जाती थी । राजा पाराशर इसे देख कर इस पर मुग्ध हो गया । इसको पाने की कामना से धीवर के पास जाकर उसने अपनी इच्छा प्रकट की । धीवर को पता था कि पाराशर का पुत्र गांगेय बड़ा पराक्रमी है और राज्याधिकारी है । उसने पाराशर की बात नहीं मानी । जब गांगेय को यह पता चला कि उसका पिता धीवर-कन्या को चाहता है तो उसने धीवर को विश्वास दिलाया कि राज्य का अधिकारी गुणवती का पुत्र ही होगा । वह आजीवन ब्रह्मचारी रहेगा । धीवर ने प्रसन्न होकर अपनी पुत्री का विवाह पाराशर के साथ कर दिया । गुणवती व्यास की जननी हुई । यही पाराशर के पश्चात् राजा हुआ । <span class="GRef"> पांडवपुराण 7.83-115 </span></p> | ||
<p id="5">(5) भरत की भाभी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 83. 94 </span></p> | <p id="5">(5) भरत की भाभी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 83. 94 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
(पां.पु./7/107-117) वृक्ष के नीचे पड़ी एक धीवर को मिली। रत्नपुर के राजा रत्नांगद की पुत्री थी। धीवर के घर पली। भीष्म के पिता के साथ इस शर्त पर विवाही गयी कि इसकी संतान ही राज्य की अधिकारिणी होगी। इसे योजनगंधा भी कहते हैं। ‘व्यासदेव’ इसी के पुत्र थे।
पुराणकोष से
(1) प्रभावती आर्यिका की सहवर्तिनी एक गणिनी यह राजा प्रजापाल की पुत्री थी और इसने अमितमति आर्यिका के सान्निध्य में संयम धारण कर लिया था । महापुराण 46.223, पद्मपुराण 3. 227 इसने श्रीधरा और यशोधरा को तथा धनश्री को दीक्षा दी थी । महापुराण 59.232, 72.235, हरिवंशपुराण 27.82, 64.12-13
(2) वानरवंशी राजा अमरप्रभ की भार्या । पद्मपुराण 6.162
(3) सुग्रीव की ग्यारहवीं पुत्री । पद्मपुराण 47.141
(4) भरतक्षेत्र के एकक्षेत्र नगर के निवासी सागरदत्त वणिक् तथा उसकी स्त्री रत्नप्रभा की पुत्री । इसके भाई का नाम गुणवान् था । उसी नगर के सेठ नयदत्त के पुत्र धनदत्त को वह अपना पति बनाना चाहती थी । जब वह नहीं मिला तो यह आर्त्तध्यान से दु:खी होकर मर गयी और मृगी की पर्याय में इसने जन्म लिया । इसके बाद हथिनी की पर्याय में होती हुई यह श्रीभूति पुरोहित की पुत्री वेदवती हुई । आगे चलकर यही राजा जनक की पुत्री सीता हुई । पद्मपुराण 106.10-26,136-141, 178
(5) रत्नपुर नगर के राजा रत्नांगद तथा उसकी रानी रत्नवती की पुत्री । इसे रत्यांगद के किसी शत्रु ने हरण करके यमुना के तट पर छोड़ दिया था । एक धीवर को यह प्राप्त हुई । उसके पुत्र-पुत्री न होने से वह उसी धीवर के द्वारा पाली गयी तथा धीवर द्वारा हो इसका यह नाम रखा गया । यह योजनगंधा थी? इसके शरीर की सुगंध एक योजन तक फैल जाती थी । राजा पाराशर इसे देख कर इस पर मुग्ध हो गया । इसको पाने की कामना से धीवर के पास जाकर उसने अपनी इच्छा प्रकट की । धीवर को पता था कि पाराशर का पुत्र गांगेय बड़ा पराक्रमी है और राज्याधिकारी है । उसने पाराशर की बात नहीं मानी । जब गांगेय को यह पता चला कि उसका पिता धीवर-कन्या को चाहता है तो उसने धीवर को विश्वास दिलाया कि राज्य का अधिकारी गुणवती का पुत्र ही होगा । वह आजीवन ब्रह्मचारी रहेगा । धीवर ने प्रसन्न होकर अपनी पुत्री का विवाह पाराशर के साथ कर दिया । गुणवती व्यास की जननी हुई । यही पाराशर के पश्चात् राजा हुआ । पांडवपुराण 7.83-115
(5) भरत की भाभी । पद्मपुराण 83. 94