घातिकर्म: Difference between revisions
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<p> जीव के उपयोग गुण के घातक ज्ञानावरण, दर्शनावरण मोहनीय और अंतराय कर्म । इन कर्मों के विनाश से केवलज्ञान की उपलब्धि होती है । <span class="GRef"> महापुराण 1.12, 33.130, 54.226-228 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> जीव के उपयोग गुण के घातक ज्ञानावरण, दर्शनावरण मोहनीय और अंतराय कर्म । इन कर्मों के विनाश से केवलज्ञान की उपलब्धि होती है । <span class="GRef"> महापुराण 1.12, 33.130, 54.226-228 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
जीव के उपयोग गुण के घातक ज्ञानावरण, दर्शनावरण मोहनीय और अंतराय कर्म । इन कर्मों के विनाश से केवलज्ञान की उपलब्धि होती है । महापुराण 1.12, 33.130, 54.226-228