चंद्रप्रज्ञप्ति: Difference between revisions
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<p> दृष्टिवाद अग के पाँच भेदों मे से परिकर्म श्रुत का प्रथम भेद । इसमें छत्तीस लाख पाँच हजार पदों के द्वारा चंद्रमा की भोगसंपदा का वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.61-63 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> दृष्टिवाद अग के पाँच भेदों मे से परिकर्म श्रुत का प्रथम भेद । इसमें छत्तीस लाख पाँच हजार पदों के द्वारा चंद्रमा की भोगसंपदा का वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.61-63 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
- अंग श्रुतज्ञान का एक भेद–देखें श्रुतज्ञान - III.1.4,2।
- सूर्य प्रज्ञप्ति की नकल मात्र एक श्वेतांबर ग्रंथ। (जै./2/56,60)
- आ.अमितगति (ई.993-1016) द्वारा रचित संस्कृत ग्रंथ।
पुराणकोष से
दृष्टिवाद अग के पाँच भेदों मे से परिकर्म श्रुत का प्रथम भेद । इसमें छत्तीस लाख पाँच हजार पदों के द्वारा चंद्रमा की भोगसंपदा का वर्णन है । हरिवंशपुराण 10.61-63