जीवसिद्धि: Difference between revisions
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आ.समंतभद्र (ई.श.2) द्वारा रचित यह ग्रंथ संस्कृत छंदबद्ध है। इसमें न्याय व युक्तिपूर्वक जीव के अस्तित्व की सिद्धि की गयी है। | आ.समंतभद्र (ई.श.2) द्वारा रचित यह ग्रंथ संस्कृत छंदबद्ध है। इसमें न्याय व युक्तिपूर्वक जीव के अस्तित्व की सिद्धि की गयी है। | ||
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<p> समंतभद्राचार्य द्वारा रचित एक ग्रंथ । इसमें जीव की स्वतंत्र स्थिति की सिद्धि की गयी है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1. 29 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> समंतभद्राचार्य द्वारा रचित एक ग्रंथ । इसमें जीव की स्वतंत्र स्थिति की सिद्धि की गयी है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1. 29 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
आ.समंतभद्र (ई.श.2) द्वारा रचित यह ग्रंथ संस्कृत छंदबद्ध है। इसमें न्याय व युक्तिपूर्वक जीव के अस्तित्व की सिद्धि की गयी है।
पुराणकोष से
समंतभद्राचार्य द्वारा रचित एक ग्रंथ । इसमें जीव की स्वतंत्र स्थिति की सिद्धि की गयी है । हरिवंशपुराण 1. 29