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| <ol> | | <p class="HindiText">तिल्लोयपण्णति के अनुसार नन्दीश्वर द्वीप का रक्षक व्यन्तर देव; त्रि.सा. व ह.पु. के अनुसार इक्षुवर समुद्र का रक्षक व्यन्तर देव– देखें - [[ व्यन्तर#4 | व्यन्तर / ४ ]]।</p> |
| <li><span class="HindiText"><strong><span name="1" id="1"></span> गन्ध का लक्षण</strong></span> <br />
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| स.सि./२/२०/१७८/९<span class="SanskritText"> गन्ध्यत इति गन्ध...गन्धनं गन्ध:।</span><br />
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| स.सि./५/२३/२९४/१ <span class="SanskritText">गन्ध्यते गन्धनमात्रं वा गन्ध:।</span>=<span class="HindiText">१. जो सूंघा जाता है वह गन्ध है।...गन्धन गन्ध है। २. अथवा जो सूँघा जाता है अथवा सूँघने मात्र को गन्ध कहते हैं। (रा.वा./२/२०/१/१३२/३१); (ध.१/१,१,३३/२४४/१); (विशेष– देखें - [[ वर्ण#1 | वर्ण / १ ]])।<br />
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| देखें - [[ निक्षेप#5.9 | निक्षेप / ५ / ९ ]](बहुत द्रव्यों के संयोग से उत्पादित द्रव्य गन्ध है)।<br />
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| </span></li>
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| <li><span class="HindiText"><span name="2" id="2"></span><strong> गन्ध के भेद</strong> </span><br />
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| स.सि./५/२३/२९४/१<span class="SanskritText"> स द्वेधा; सुरभिरसुरभिरिति।...त एते मूलभेदा: प्रत्येकं संख्येयासंख्येयानन्तभेदाश्च भवन्ति।</span>=<span class="HindiText">सुगन्ध और दुर्गन्ध के भेद से वह दो प्रकार का है...ये तो मूल भेद हैं। वैसे प्रत्येक के संख्यात, असंख्यात और अनन्त भेद होते हैं। (रा.वा./५/२३/९/४८५); (प.प्र./टी./१/२१/२६/१); (द्र.सं./टी./७/१९/१२); (गो.जी./जी.प्र./४७९/८८५/१५)।<br />
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| </span></li>
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| <li><span class="HindiText"><span name="3" id="3"></span><strong> गन्ध नामकर्म का लक्षण</strong> </span><br />
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| स.सि./८/११/३९०/१० <span class="SanskritText">यदुदयप्रभवो गन्धस्तद् गन्धनाम।</span>=<span class="HindiText">जिसके उदय से गन्ध की उत्पत्ति होती है वह गन्ध नामकर्म है। (रा.वा./८/११/१०/५७७/१६); (गो.क./जी.प्र./३३/२९/१३)।</span><br />
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| ध.६/१,९-१,२८/५५/४ <span class="PrakritText">जस्स कम्मक्खंधस्स उदएण जीवसरीरे जादिपडिणियदो गंधो उप्पज्जदि तस्स कम्मक्खंधस्स गंधसण्णा, कारणे कज्जुवयारादो।</span>=<span class="HindiText">जिस कर्म स्कन्ध के उदय से जीव के शरीर में जाति के प्रति नियत गन्ध उत्पन्न होता है उस कर्मस्कन्ध की गन्ध यह संज्ञा कारण में कार्य के उपचार से की गयी है। (ध.१३/५,५,१०१/३६४/७)।<br />
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| </span></li>
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| <li><span class="HindiText"><span name="4" id="4"></span><strong> गन्ध नामकर्म के भेद</strong> </span><br />
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| ष.खं.६/१,९-१/सू.३८/७४ <span class="PrakritText">जं तं गंधणामकम्मं तं दुविहं सुरहिगंधं दुरहिगंधं चेव।३८।</span>=<span class="HindiText">जो गन्ध नामकर्म है वह दो प्रकार का है–सुरभि गन्ध और दुरभि गन्ध। (ष.खं.१३/५,५/सू.१११/३७०); (पं.सं.प्रा./२/४/४७/३१); (स.सि./८/११/३९०/११); (रा.वा./८/११/१०/५७७/१७) (गो.क./जी.प्र./३२/२६/१;३३/२९/१४)।<br />
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| </span></li>
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| </ol>
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| <li class="HindiText"><strong> नामकर्मों के गन्ध आदि सकारण है या निष्कारण</strong>– देखें - [[ वर्ण#4 | वर्ण / ४ ]]।<br />
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| </li>
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| <li class="HindiText"><strong> जल आदि में भी गंध की सिद्धि</strong>– देखें - [[ पुद्गल#10 | पुद्गल / १० ]]</li>
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| <li class="HindiText"><strong>गन्ध नामकर्म के बन्ध, उदय, सत्त्व</strong>–दे० वह वह नाम।</li>
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| </ul> | |
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| <p><table class="NextPrevLinkTableFormat"><tr> | | <p><table class="NextPrevLinkTableFormat"><tr> |
| <td class="NextRowFormat">[[गंडविमुक्तदेव | Previous Page]]</td> | | <td class="NextRowFormat">[[गंध | Previous Page]]</td> |
| <td class="NextRowFormat" style="text-align: right">[[गंध | Next Page]]</td> | | <td class="NextRowFormat" style="text-align: right">[[गंधअष्टमी व्रत | Next Page]]</td> |
| </tr></table></p> | | </tr></table></p> |
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| [[Category:ग]] | | [[Category:ग]] |