द्रुमसेन: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.30 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.30 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सिंहद्वीप के राजा श्लक्ष्णरोम का सेनापति । कृष्ण ने इसे युद्ध में मारा और राजा की कन्या लक्ष्मणा को द्वारिका लाकर विधिपूर्वक विवाहा । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.20-24 </span></p> | <p id="2">(2) सिंहद्वीप के राजा श्लक्ष्णरोम का सेनापति । कृष्ण ने इसे युद्ध में मारा और राजा की कन्या लक्ष्मणा को द्वारिका लाकर विधिपूर्वक विवाहा । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.20-24 </span></p> | ||
<p id="3">(3) महावीर के निर्वाण के तीन सौ पैतालीस वर्ष बाद दो सौ बीस वर्ष के अंतराल में हुए ग्यारह अंगधारी पाँच मुनीश्वरों में एक मुनि । <span class="GRef"> महापुराण 76.525 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.41-49 </span></p> | <p id="3">(3) महावीर के निर्वाण के तीन सौ पैतालीस वर्ष बाद दो सौ बीस वर्ष के अंतराल में हुए ग्यारह अंगधारी पाँच मुनीश्वरों में एक मुनि । <span class="GRef"> महापुराण 76.525 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.41-49 </span></p> | ||
<p id="4">(4) नवें नारायण कृष्ण के पूर्वभव के गुरु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.216 </span></p> | <p id="4">(4) नवें नारायण कृष्ण के पूर्वभव के गुरु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.216 </span></p> | ||
<p id="5">(5) लक्ष्मण के पूर्वभव के जीव पुनर्वसु के दीक्षागुरु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 64.93-95 </span></p> | <p id="5">(5) लक्ष्मण के पूर्वभव के जीव पुनर्वसु के दीक्षागुरु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 64.93-95 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
देखें ध्रुवसेन ।
पुराणकोष से
(1) जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.30
(2) सिंहद्वीप के राजा श्लक्ष्णरोम का सेनापति । कृष्ण ने इसे युद्ध में मारा और राजा की कन्या लक्ष्मणा को द्वारिका लाकर विधिपूर्वक विवाहा । हरिवंशपुराण 44.20-24
(3) महावीर के निर्वाण के तीन सौ पैतालीस वर्ष बाद दो सौ बीस वर्ष के अंतराल में हुए ग्यारह अंगधारी पाँच मुनीश्वरों में एक मुनि । महापुराण 76.525 वीरवर्द्धमान चरित्र 1.41-49
(4) नवें नारायण कृष्ण के पूर्वभव के गुरु । पद्मपुराण 20.216
(5) लक्ष्मण के पूर्वभव के जीव पुनर्वसु के दीक्षागुरु । पद्मपुराण 64.93-95