द्वादशांग: Difference between revisions
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<p> श्रूत के बारह अंग-आचारांग, सूत्रकृतांग, स्थानांग, समवायांग, व्याख्याप्रज्ञप्ति अंग, ज्ञातृधर्मकथांग, उपासकाध्ययनांग, अंतकृद्दशांग, अनुत्तरोपपादिकदशांग, प्रश्नव्याकरणांग, विपाकसूत्रांग और दृष्टिप्रवादांग । <span class="GRef"> महापुराण 34.133, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.26-45 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> श्रूत के बारह अंग-आचारांग, सूत्रकृतांग, स्थानांग, समवायांग, व्याख्याप्रज्ञप्ति अंग, ज्ञातृधर्मकथांग, उपासकाध्ययनांग, अंतकृद्दशांग, अनुत्तरोपपादिकदशांग, प्रश्नव्याकरणांग, विपाकसूत्रांग और दृष्टिप्रवादांग । <span class="GRef"> महापुराण 34.133, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.26-45 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
श्रूत के बारह अंग-आचारांग, सूत्रकृतांग, स्थानांग, समवायांग, व्याख्याप्रज्ञप्ति अंग, ज्ञातृधर्मकथांग, उपासकाध्ययनांग, अंतकृद्दशांग, अनुत्तरोपपादिकदशांग, प्रश्नव्याकरणांग, विपाकसूत्रांग और दृष्टिप्रवादांग । महापुराण 34.133, हरिवंशपुराण 10.26-45