द्वारवती: Difference between revisions
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<p> यादवों की महानगरी । नेमि की कुबेर द्वारा निर्मित यह नगरी बारह योजन लंबी, नौ योजन चौडी, वज्रमयी कोट से आवृत तथा समुद्रमयी परिखा से युक्त थी । इसमें कृष्ण का अठारह खंडों से युक्त सर्वतोभद्र नामक महल था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 24-27, 63, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.72, 41. 18-19, 27 </span>पांडव यहाँ आये थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45. 1, 50. 2 </span>अपरनाम द्वारिका । <span class="GRef"> पांडवपुराण 11.76-81 </span>इसका एक नाम द्वारावती भी था । बलभद्र-अचलस्तोक और नारायण-द्विपृष्ठ, बलभद्र धर्म और नारायण-स्वयंभू, बलभद्र-सुप्रभ और नारायण-पुरुषोत्तम की यह जन्मभूमि थी । <span class="GRef"> महापुराण 58.83 -84, 59.71, 86, 60.63, 66 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> यादवों की महानगरी । नेमि की कुबेर द्वारा निर्मित यह नगरी बारह योजन लंबी, नौ योजन चौडी, वज्रमयी कोट से आवृत तथा समुद्रमयी परिखा से युक्त थी । इसमें कृष्ण का अठारह खंडों से युक्त सर्वतोभद्र नामक महल था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 24-27, 63, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.72, 41. 18-19, 27 </span>पांडव यहाँ आये थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45. 1, 50. 2 </span>अपरनाम द्वारिका । <span class="GRef"> पांडवपुराण 11.76-81 </span>इसका एक नाम द्वारावती भी था । बलभद्र-अचलस्तोक और नारायण-द्विपृष्ठ, बलभद्र धर्म और नारायण-स्वयंभू, बलभद्र-सुप्रभ और नारायण-पुरुषोत्तम की यह जन्मभूमि थी । <span class="GRef"> महापुराण 58.83 -84, 59.71, 86, 60.63, 66 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
यादवों की महानगरी । नेमि की कुबेर द्वारा निर्मित यह नगरी बारह योजन लंबी, नौ योजन चौडी, वज्रमयी कोट से आवृत तथा समुद्रमयी परिखा से युक्त थी । इसमें कृष्ण का अठारह खंडों से युक्त सर्वतोभद्र नामक महल था । महापुराण 71. 24-27, 63, हरिवंशपुराण 1.72, 41. 18-19, 27 पांडव यहाँ आये थे । हरिवंशपुराण 45. 1, 50. 2 अपरनाम द्वारिका । पांडवपुराण 11.76-81 इसका एक नाम द्वारावती भी था । बलभद्र-अचलस्तोक और नारायण-द्विपृष्ठ, बलभद्र धर्म और नारायण-स्वयंभू, बलभद्र-सुप्रभ और नारायण-पुरुषोत्तम की यह जन्मभूमि थी । महापुराण 58.83 -84, 59.71, 86, 60.63, 66