द्वीपसागरप्रज्ञप्ति: Difference between revisions
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<p> दृष्टिवाद अंग के परिकर्म नामक भेद मैं कथित पाँच प्रज्ञप्तियों में चतुर्थ प्रज्ञप्ति । इसमें द्वीप और सागरों का बावन लाख छत्तीस हजार पदों में वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.61-62, 66 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> दृष्टिवाद अंग के परिकर्म नामक भेद मैं कथित पाँच प्रज्ञप्तियों में चतुर्थ प्रज्ञप्ति । इसमें द्वीप और सागरों का बावन लाख छत्तीस हजार पदों में वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.61-62, 66 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
दृष्टिवाद अंग के परिकर्म नामक भेद मैं कथित पाँच प्रज्ञप्तियों में चतुर्थ प्रज्ञप्ति । इसमें द्वीप और सागरों का बावन लाख छत्तीस हजार पदों में वर्णन है । हरिवंशपुराण 10.61-62, 66