नरदेव: Difference between revisions
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<p id="1">(1) कृष्ण के भाई बलदेव का एक पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.68 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) कृष्ण के भाई बलदेव का एक पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.68 </span></p> | ||
<p id="2">(2) रावण के पूर्वभव का जीव । धातकीखंड द्वीप के पूर्व भरतक्षेत्र संबंधी सारसमुच्चय देश के नागपुर (हस्तिनापुर) नगर का राजा । इसने एक दिन अनंत गणधर से धर्मकथा सुनकर अपने बड़े पुत्र भोगदेव को राज्य सौंपकर संयम धारण कर लिया था । तपश्चरण करते हुए इसने चपलवेग विद्याधर के ऐश्वर्य को देखकर देव होने का निदान किया । फलत: आयु के अंत में संन्यासमरण कर यह सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 68.3-7 </span></p> | <p id="2">(2) रावण के पूर्वभव का जीव । धातकीखंड द्वीप के पूर्व भरतक्षेत्र संबंधी सारसमुच्चय देश के नागपुर (हस्तिनापुर) नगर का राजा । इसने एक दिन अनंत गणधर से धर्मकथा सुनकर अपने बड़े पुत्र भोगदेव को राज्य सौंपकर संयम धारण कर लिया था । तपश्चरण करते हुए इसने चपलवेग विद्याधर के ऐश्वर्य को देखकर देव होने का निदान किया । फलत: आयु के अंत में संन्यासमरण कर यह सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 68.3-7 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
(1) कृष्ण के भाई बलदेव का एक पुत्र । हरिवंशपुराण 48.68
(2) रावण के पूर्वभव का जीव । धातकीखंड द्वीप के पूर्व भरतक्षेत्र संबंधी सारसमुच्चय देश के नागपुर (हस्तिनापुर) नगर का राजा । इसने एक दिन अनंत गणधर से धर्मकथा सुनकर अपने बड़े पुत्र भोगदेव को राज्य सौंपकर संयम धारण कर लिया था । तपश्चरण करते हुए इसने चपलवेग विद्याधर के ऐश्वर्य को देखकर देव होने का निदान किया । फलत: आयु के अंत में संन्यासमरण कर यह सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ । महापुराण 68.3-7