नर्मदा: Difference between revisions
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पूर्वदक्षिणी आर्यखंड की एक नदी–देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]। | पूर्वदक्षिणी आर्यखंड की एक नदी–देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]। | ||
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<p id="1"> (1) पूर्वदक्षिण आर्यखंड की एक नदी । यहाँ भरतेश की सेना आयी थी । यह गंभीर नदी कहीं मंद, कही तीव्र तथा कही टेढ़े-मेढ़े प्रवाह से युक्त हे । कुंभकर्ण का निर्वाण इसी नदी के तट पर हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 29.52, 30.82, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 10.63, 80.140 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) पूर्वदक्षिण आर्यखंड की एक नदी । यहाँ भरतेश की सेना आयी थी । यह गंभीर नदी कहीं मंद, कही तीव्र तथा कही टेढ़े-मेढ़े प्रवाह से युक्त हे । कुंभकर्ण का निर्वाण इसी नदी के तट पर हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 29.52, 30.82, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 10.63, 80.140 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वसुंधरपुर के राजा विंध्यसेन की स्त्री, वयंतसुंदरी की जननी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.70 </span></p> | <p id="2">(2) वसुंधरपुर के राजा विंध्यसेन की स्त्री, वयंतसुंदरी की जननी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.70 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
पूर्वदक्षिणी आर्यखंड की एक नदी–देखें मनुष्य - 4।
पुराणकोष से
(1) पूर्वदक्षिण आर्यखंड की एक नदी । यहाँ भरतेश की सेना आयी थी । यह गंभीर नदी कहीं मंद, कही तीव्र तथा कही टेढ़े-मेढ़े प्रवाह से युक्त हे । कुंभकर्ण का निर्वाण इसी नदी के तट पर हुआ था । महापुराण 29.52, 30.82, पद्मपुराण 10.63, 80.140
(2) वसुंधरपुर के राजा विंध्यसेन की स्त्री, वयंतसुंदरी की जननी । हरिवंशपुराण 45.70