नंद: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
आरा निवासी व गोयलगोत्री एक हिंदी भाषा के कवि थे। आपने वि.1663 (ई.1306) में सुदर्शनचरित्र और वि.1670 (ई.1613) में चौपाईबद्ध यशोधरचरित्र लिखा है।)? (हिंदी जैन साहित्य का इतिहास।126। श्री कामता प्रसाद)। | आरा निवासी व गोयलगोत्री एक हिंदी भाषा के कवि थे। आपने वि.1663 (ई.1306) में सुदर्शनचरित्र और वि.1670 (ई.1613) में चौपाईबद्ध यशोधरचरित्र लिखा है।)? (हिंदी जैन साहित्य का इतिहास।126। श्री कामता प्रसाद)। | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1">(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 167 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 167 </span></p> | ||
<p id="2">(2) बलभद्र । यह बलि प्रतिनारायण के हंता पुंडरीक नारायण का भाई था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 25.35 </span></p> | <p id="2">(2) बलभद्र । यह बलि प्रतिनारायण के हंता पुंडरीक नारायण का भाई था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 25.35 </span></p> | ||
<p id="3">(3) अकृत्रिम चैत्यालयों की पूर्व दिशा में विद्यमान स्वच्छ जल से परिपूर्ण मच्छ तथा कूर्म आदि से रहित एक ह्रद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 372 </span></p> | <p id="3">(3) अकृत्रिम चैत्यालयों की पूर्व दिशा में विद्यमान स्वच्छ जल से परिपूर्ण मच्छ तथा कूर्म आदि से रहित एक ह्रद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 372 </span></p> | ||
Line 25: | Line 26: | ||
<p id="12">(12) ऐशान स्वर्ग का देव-विमान । <span class="GRef"> महापुराण 9.190 </span></p> | <p id="12">(12) ऐशान स्वर्ग का देव-विमान । <span class="GRef"> महापुराण 9.190 </span></p> | ||
<p id="13">(13) एक यक्ष । इसने और इसके भाई महानंद यक्ष ने प्रीतिंकर कुमार को बहुत साधन देकर सुप्रतिष्ठनगर पहुँचाया था । <span class="GRef"> महापुराण 76. 315 </span></p> | <p id="13">(13) एक यक्ष । इसने और इसके भाई महानंद यक्ष ने प्रीतिंकर कुमार को बहुत साधन देकर सुप्रतिष्ठनगर पहुँचाया था । <span class="GRef"> महापुराण 76. 315 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:55, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
आरा निवासी व गोयलगोत्री एक हिंदी भाषा के कवि थे। आपने वि.1663 (ई.1306) में सुदर्शनचरित्र और वि.1670 (ई.1613) में चौपाईबद्ध यशोधरचरित्र लिखा है।)? (हिंदी जैन साहित्य का इतिहास।126। श्री कामता प्रसाद)।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 167
(2) बलभद्र । यह बलि प्रतिनारायण के हंता पुंडरीक नारायण का भाई था । हरिवंशपुराण 25.35
(3) अकृत्रिम चैत्यालयों की पूर्व दिशा में विद्यमान स्वच्छ जल से परिपूर्ण मच्छ तथा कूर्म आदि से रहित एक ह्रद । हरिवंशपुराण 5. 372
(4) राजा धृत राष्ट्र तथा गांधारी का इकतीसवाँ पुत्र । पांडवपुराण 8.196
(5) गोकुल का प्रधान पुरुष एक गोप । यह यशोदा का पति और कृष्ण का पालक था । महापुराण 70.381-402, पांडवपुराण 11.58
(6) तीर्थंकर शांतिनाथ का चैत्यवृक्ष । पद्मपुराण 20.52
(7) रावण का एक धनुर्धारी योद्धा । पद्मपुराण 73.171
(8) भरत के साथ दीक्षित और मुक्त हुआ एक उच्च कुलीन नृप । पद्मपुराण 88.4
(9) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव । महापुराण 76.543 यह छत्रपुर नगर के राजा नंदिवर्धन और उसकी रानी वीरमती का पुत्र था । आयु के अंत में इसने गुरू प्रोष्ठिल से संयम धारण कर लिया था । इससे तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया और समाधिपूर्वक शरीर त्यागा । यह अच्युत स्वर्ग में इंद्र हुआ और वहाँ से च्युत होकर कुंडपुर के राजा सिद्धार्थ के तीर्थंकर के अतिशयों से संपन्न वर्धमान नामक पुत्र हुआ । महापुराण 74. 242-276, वीरवर्द्धमान चरित्र 6.2-104, 7.110-111
(10) राजा गंगदेव और रानी नंदयशा का चतुर्थ पुत्र । महापुराण 71. 261-262
(11) विदेहक्षेत्र के गंधिला देश में पाटलिग्राम के निवासी वणिक् नागदत्त और उसकी स्त्री सुमति का ज्येष्ठ पुत्र । इसके नंदिमित्र, नंदिषेण, वरसेन और जयसेन छोटे भाई तथा मदनकांता और श्रीकांता छोटी बहिनें थी । महापुराण 6.128-130
(12) ऐशान स्वर्ग का देव-विमान । महापुराण 9.190
(13) एक यक्ष । इसने और इसके भाई महानंद यक्ष ने प्रीतिंकर कुमार को बहुत साधन देकर सुप्रतिष्ठनगर पहुँचाया था । महापुराण 76. 315