नंदवती: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) कौतुकमंगल नगर के राजा व्योमबिंदु विद्याधर की रानी । इसकी कौशिकी और केकसी पुत्रियाँ थी । अपरनाम मंदवती था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 7.126-127, 162 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) कौतुकमंगल नगर के राजा व्योमबिंदु विद्याधर की रानी । इसकी कौशिकी और केकसी पुत्रियाँ थी । अपरनाम मंदवती था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 7.126-127, 162 </span></p> | ||
<p id="2">(2) समवसरण के अशोकवन की एक वापिका । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.32 </span></p> | <p id="2">(2) समवसरण के अशोकवन की एक वापिका । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.32 </span></p> | ||
<p id="3">(3) नंदीश्वर द्वीप की पूर्व दिशा के अंजनगिरि की चार वापिकाओं में एक वापिका । यह ऐशानेंद्र की क्रीडास्थली है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.658-659 </span></p> | <p id="3">(3) नंदीश्वर द्वीप की पूर्व दिशा के अंजनगिरि की चार वापिकाओं में एक वापिका । यह ऐशानेंद्र की क्रीडास्थली है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.658-659 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:55, 14 November 2020
(1) कौतुकमंगल नगर के राजा व्योमबिंदु विद्याधर की रानी । इसकी कौशिकी और केकसी पुत्रियाँ थी । अपरनाम मंदवती था । पद्मपुराण 7.126-127, 162
(2) समवसरण के अशोकवन की एक वापिका । हरिवंशपुराण 57.32
(3) नंदीश्वर द्वीप की पूर्व दिशा के अंजनगिरि की चार वापिकाओं में एक वापिका । यह ऐशानेंद्र की क्रीडास्थली है । हरिवंशपुराण 5.658-659