पदार्थ: Difference between revisions
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<p> सामान्यत: जीव और अजीव के भेद से द्विविध । तत्त्वों में पुण्य और पाप के संयोग से ये नौ प्रकार के हो जाते हैं । इनकी यथार्थ श्रद्धा और ज्ञान से सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान हो जाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 2.118,9.121, 24.127, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 17.2 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सामान्यत: जीव और अजीव के भेद से द्विविध । तत्त्वों में पुण्य और पाप के संयोग से ये नौ प्रकार के हो जाते हैं । इनकी यथार्थ श्रद्धा और ज्ञान से सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान हो जाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 2.118,9.121, 24.127, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 17.2 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
सामान्यत: जीव और अजीव के भेद से द्विविध । तत्त्वों में पुण्य और पाप के संयोग से ये नौ प्रकार के हो जाते हैं । इनकी यथार्थ श्रद्धा और ज्ञान से सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान हो जाते हैं । महापुराण 2.118,9.121, 24.127, वीरवर्द्धमान चरित्र 17.2