परशुराम: Difference between revisions
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यमदग्नि तापस का पुत्र (बृहत् कथाकोष/कथा 59/10)। | यमदग्नि तापस का पुत्र (बृहत् कथाकोष/कथा 59/10)। | ||
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<p> जमदग्नि ऋषि और रेणुकी का पुत्र । इसका अपरनाम इंद्र था । यह श्वेतराम का अग्रज था । इसकी माँ रेणुकी को एक सिद्ध पुरुष से कामधेनु (विद्या) और मंत्र सिद्ध परशु प्राप्त थे । रेणुकी की बड़ी बहिन का पुत्र कृतवीर रेणुकी से कामधेनु चाहता था पर रेणुकी ने नहीं दी । इस पर वह उसे बलपूर्वक ले जाने लगा । जमदग्नि ने उसे रोका । रोकने से दोनों में युद्ध हुआ और जमदग्नि मारा गया । इस पर परशुराम ने अयोध्या जाकर कृतवीर्य और उसके पिता से युद्ध किया तथा दोनों को मार डाला । इतना ही नहीं एक क्षत्रिय द्वारा किये गये पिता के वध का बदला लेने के लिए इसने इक्कीस बार पृथिवी को क्षत्रिय विहीन किया था । अंत में यह सुभौम चक्रवर्ती के चक्र से मारा गया था । <span class="GRef"> महापुराण 65.90-112, 127,149-150 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 25.8-9 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> जमदग्नि ऋषि और रेणुकी का पुत्र । इसका अपरनाम इंद्र था । यह श्वेतराम का अग्रज था । इसकी माँ रेणुकी को एक सिद्ध पुरुष से कामधेनु (विद्या) और मंत्र सिद्ध परशु प्राप्त थे । रेणुकी की बड़ी बहिन का पुत्र कृतवीर रेणुकी से कामधेनु चाहता था पर रेणुकी ने नहीं दी । इस पर वह उसे बलपूर्वक ले जाने लगा । जमदग्नि ने उसे रोका । रोकने से दोनों में युद्ध हुआ और जमदग्नि मारा गया । इस पर परशुराम ने अयोध्या जाकर कृतवीर्य और उसके पिता से युद्ध किया तथा दोनों को मार डाला । इतना ही नहीं एक क्षत्रिय द्वारा किये गये पिता के वध का बदला लेने के लिए इसने इक्कीस बार पृथिवी को क्षत्रिय विहीन किया था । अंत में यह सुभौम चक्रवर्ती के चक्र से मारा गया था । <span class="GRef"> महापुराण 65.90-112, 127,149-150 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 25.8-9 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
यमदग्नि तापस का पुत्र (बृहत् कथाकोष/कथा 59/10)।
पुराणकोष से
जमदग्नि ऋषि और रेणुकी का पुत्र । इसका अपरनाम इंद्र था । यह श्वेतराम का अग्रज था । इसकी माँ रेणुकी को एक सिद्ध पुरुष से कामधेनु (विद्या) और मंत्र सिद्ध परशु प्राप्त थे । रेणुकी की बड़ी बहिन का पुत्र कृतवीर रेणुकी से कामधेनु चाहता था पर रेणुकी ने नहीं दी । इस पर वह उसे बलपूर्वक ले जाने लगा । जमदग्नि ने उसे रोका । रोकने से दोनों में युद्ध हुआ और जमदग्नि मारा गया । इस पर परशुराम ने अयोध्या जाकर कृतवीर्य और उसके पिता से युद्ध किया तथा दोनों को मार डाला । इतना ही नहीं एक क्षत्रिय द्वारा किये गये पिता के वध का बदला लेने के लिए इसने इक्कीस बार पृथिवी को क्षत्रिय विहीन किया था । अंत में यह सुभौम चक्रवर्ती के चक्र से मारा गया था । महापुराण 65.90-112, 127,149-150 हरिवंशपुराण 25.8-9